शहंशाह तो कभी हम भी हुआ करते थे…


हिंदी फिल्मो के सुपरस्टार्स के खाते में भले ही पीरियड फिल्मों की संख्या कम हो लेकिन जब कभी भी इन्हे सर पर मुकुट या ताज पहनने का मौका मिलता है उससे छोड़ते नहीं है। भले ही वो ड्रीम सीक्वेंस क्यों ना हो।



सलमान खान (फिल्म – रेडी, 2011)

अनीस बज़्मी की इस कॉमेडी फिल्म में सलमान शहंशाह के रूप में फिल्म के एक प्रमोशनल सांग में नज़र आये थे। मैं करूं तो साला करैक्टर ढीला है गाने में वो ज़रीन खान के साथ थिरकते नज़र आये थे। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बेहद कामयाब रही थी।

अनिल कपूर (फिल्म – चमेली की शादी, 1986)

बासु चटर्जी की इस कॉमेडी फिल्म को रिलीज़ के वक़्त जितनी सराहना मिलनी चाहिए थी वो मिली नहीं थी। चरनदास के किरदार में अनिल कपूर बेहद प्रभावी रहे थे। कहानी दो नौजवान प्रेमियों – अनिल कपूर और अमृता सिंह – के बारे में थी जिनके प्रेम के बीच पंकज कपूर अपनी टांग अडाते है। एक गाने में मुग़ल-ए-आज़म के सीन को फिल्म अनिल कपूर और अमृता सिंह ने रिइनैक्ट किया था।

विनोद खन्ना (फिल्म – मीरा, 1979)

मीरा फिल्म का निर्देशन किया था गुलज़ार ने और इसकी कहानी अकबर के युग के दौरान राजपूत घराने से जुड़े मीराबाई के बारे में है। फिल्म में विनोद खन्ना राजा भोजराज की भूमिका में थे। पंडित रविशंकर के संगीत से सजी इस फिल्म को लोगों ने शुरू में बॉक्स ऑफिस पर नकार दिया था लेकन आगे चल कर कल्ट फिल्मो की श्रेणी में इस फिल्म ने भी अपनी एक जगह बनाई। 

राजेश खन्ना (फिल्म – बंडलबाज, 1976)

फिल्म बंडलबाज से अभिनेता शम्मी कपूर ने अपने निर्देशन की पारी की शुरुआत की थी। फिल्म में एक गरीब इंसान का किरदार निभाने वाले राजेश खन्ना अमीर बनने के ख्वाब देखते है और फिल्म एक ड्रीम सीक्वेंस में सुलक्षणा पंडित के साथ गाना गाते है। उसी गाने में वो एक शहंशाह के रूप में नज़र आते है।

दिलीप कुमार (मुग़ल-ए-आज़म, 1960)

शहज़ादे सलीम की भूमिका में दिलीप कुमार के बारे में कुछ और लिखना पन्ने बर्बाद करने के बराबर होगा।

हृतिक रोशन (फिल्म – जोधा अकबर, 2008)

आशुतोष गोवारिकर निर्देशित जोधा अकबर साल २००८ की बेहतरीन फिल्मो में से एक थी। अकबर की भूमिका में हृतिक ने पूरी जान दाल दी थी और उस साल के कई अवार्ड्स पर अपना हाथ साफ किया था।

शशि कपूर – (फिल्म – हीट एंड डस्ट, 1983)

रूत प्रवार झबवाला की कलम से निकली इस फिल्म को बाफ्टा में बेस्ट अडाप्टेड स्क्रीनप्ले का अवार्ड मिला था। इसके पहले हीट एंड डस्ट किताब को बुकर अवार्ड भी मिला था। फिल्म में शशि कपूर एक नवाब की भूमिका में नज़र आये थे और इस फिल्म को शशि कपूर के फिल्मी करियर मे एक बेहतरीन फिल्म मानी जाती है।

अमिताभ बच्चन (फिल्म – दुनिया का मेला, 1973)

फ़िल्मी दुनिया के शहंशाह अमिताभ बच्चन पर्दे पर शहंशाह बनते बनते रह गए थे। निर्देशक कुंदन कुमार की फिल्म दुनिया का मेला में ऐसा रोल करने का मौका उनको मिला था। किरदार में उनका फोटो शूट भी हुआ था लेकिन कुछ कारणवश उनको फिल्म से निकालकर अभिनेता संजय खान को ले लिया गया था। इत्तेफ़ाक़ की बात है की दुनिया का मेला और ज़ंजीर बॉक्स ऑफिस पर लगभग एक साथ रिलीज़ हुई थी।