मुंबई। कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण सभी क्षेत्रों की तरह 2020 भारतीय फिल्म उद्योग के लिए भी बहुत मुश्किल भरा रहा। कोरोना वायरस महामारी के कारण लागू किए गए लॉकडाउन से फिल्म निर्माण रुक गया, सिनेमाघरों के दरवाजे बंद हो गए, जिससे हजारों करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ और इस उद्योग से जुड़े हजारों लोग बेरोजगार भी हो गए।
कोरोना वायरस महामारी ने इस फलते-फूलते उद्योग के लिये 2020 में अप्रत्याशित चुनौतियां पेश की, जिससे मनोरंजन उद्योग पूरी तरह ठहर गया। हालांकि, कितना नुकसान हुआ है इसके कोई सटीक आंकड़े नहीं हैं लेकिन कुछ अंदरूनी सूत्रों का अनुमान है कि नुकसान 1500 करोड़ रुपये से लेकर ‘हजारों करोड़’ रुपये तक का हो सकता है। उन्होंने बताया कि सिंगल स्क्रीन थिएटरों को एक महीने में करीब 25 से 75 लाख रुपये का नुकसान हुआ होगा।
‘ट्रेड एनालिस्ट’ अमूल मोहन के मुताबिक, एक साल में करीब 200 हिंदी फिल्में बनती हैं और बॉलीवुड की सालाना बॉक्स ऑफिस कमाई 3,000 करोड़ रुपये से कुछ ज्यादा ही होती है।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ हालांकि यह साल कुछ अलग रहा है और चीजें योजना के अनुसार नहीं हुई हैं।’’
यह दोहरी मुश्किल की घड़ी है। एक ओर जहां फिल्में या अन्य मनोरंजन सामग्रियों का प्रदर्शन या तो टालना पड़ रहा है या फिर मजबूरन उन्हें ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर नौ महीनों बाद देश के कई हिस्सों में सिनेमाघर खुल तो गए हैं लेकिन अब भी लोग वहां फिल्में देखने जाने से कतरा रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए दर्शकों को लुभाने के लिये कोई नयी फिल्म भी नहीं है।
एफडब्ल्यूआईसीई के अध्यक्ष बी एन तिवारी ने कहा कि यह उद्योग के लिए तबाही लेकर आया है, जिसमें लाखों लोग काम करते हैं। उन्होंने कहा कि लगभग पांच लाख लोग फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (एफडब्ल्यूआईसीई) के साथ पंजीकृत हैं, जिनमें अभिनेता, निर्देशक और निर्माता भी शामिल हैं। इनमें से 2.5 लाख ‘श्रमिक’ हैं, जिनमें जूनियर कलाकार, मेकअप आर्टिस्ट, सेट डिजाइनर, बढ़ई और बैकग्राउंड डांसर शामिल हैं,
व्यापार पर्यवेक्षक हिमेश मांकड के अनुसार, यह नुकसान अगले साल भी हो सकता है। मांकड ने कहा, ‘‘सालाना हिंदी फिल्मों की कमाई लगभग 3,000 करोड़ रुपये रहती होगी, लेकिन इस साल केवल 500-600 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है। इसलिए हमें कम से कम 1,700-2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह अनुमानित नुकसान है क्योंकि 2020 में रिलीज होने वाली फिल्में अब 2021 में रिलीज होंगी।’’
मांकड ने कहा, ‘‘(लेकिन) ब्याज लागत, ओवरहेड लागत भी होगी, जिसके कारण प्रत्येक फिल्म का बजट 5 से 15 करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है। इसे अतिरिक्त खर्च कहा जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव कुछ समय तक ही रहेगा।