
लगान (निर्देशक – आशुतोष गोवारिकर) (2001)
लगान फिल्म में जो भी अभिनेता आमिर खान की टीम में शामिल थे आगे चल कर उनको कई फिल्मों में काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में रघुबीर यादव भूरा की भूमिका में नज़र आये थे जो टीम का प्रमुख फील्डर भी है। एक किसान का दर्द क्या होता है इसको उभारने में रघुबीर यादव पूरी तरह से कामयाब हुए थे। लगान टीमवर्क का शानदार उदहारण था जिसकी मंज़िल ऑस्कर पर ही रुकी जब इस फिल्म को बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म केटेगरी में इसको नामांकित किया गया।
मैसी साहेब (निर्देशक – प्रदीप कृष्ण) (1985)
नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से निकलने के बाद मैसी साहेब रघुबीर यादव की पहली फिल्म थी और उनकी इस पहली फिल्म ने ही उनको अभिनय का पहला नेशनल अवार्ड उनको दिलवा दिया। इस फिल्म की पृष्ठभूमि १९२९ के मध्य भारत की थी जिसके एक छोटे शहर में मैसी एक क्लर्क है। अंग्रेज़ो के साथ काम करने की वजह से मैसी उनके जैसे बनने की कोशिश करता है। इस फिल्म में मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय ने एक आदिवासी की भूमिका अदा की थी जिसकी शादी आगे चल कर मैसी से होती है।
पीपली लाइव (निर्देशिका – अनुषा रिज़वी) (2010)
किसानो की जिंदगी पर पीपली लाइव एक व्यंग था जिसने मीडिया को भी अपने लपेटे में ले लिया था। एक किसान जब अपनी आत्महत्या की बात करता है तो उसके बाद मीडिया और सरकारी महकमे उसको किस ढंग से लेती है इसको बेहद ही शानदार तरीके से इस फिल्म में दिखाया गया था। बुधिया की भूमिका में रघुबीर यादव ने इस फिल्म में बेहद ही सधा हुआ अभिनय किया था। इसी फिल्म के एक गाने महंगाई डायन को रघुबीर यादव ने अपनी आवाज़ दी थी जो बेहद लोकप्रिय हुआ था।
सलाम बॉम्बे (निर्देशिका – मीरा नायर) (1988)
रघुबीर यादव के करियर में ये पहली फिल्म थी जिसने ऑस्कर समारोह में दस्तक दी थी। सलाम बॉम्बे में रघुबीर चिलम की भूमिका में नज़र आये थे जो मुंबई की सडको पर अपना गुज़र बसर करता है। नेशनल अवार्ड से लेकर कांन्स फिल्म फेस्टिवल तक इस फिल्म ने सफलता के झंडे गाड़े थे। सलाम बॉम्बे रघुबीर यादव के करियर की शुरूआती फिल्मों में से थी और ऐसा कहा जाता है की चिलम के रोल के लिए मीरा नायर ने पहले इरफ़ान खान से संपर्क साधा था।
मुंगेरी लाल के हसीन सपने (निर्देशक – प्रकाश झा) (1990)
इस सीरियल को लिखने वाले थे मनोहर श्याम जोशी और इसका ताना बाना एक बेहद ही अदने क्लर्क मुंगेरीलाल की जिंदगी के इर्द गिर्द बुना गया था। घर पर उनकी पत्नी और दफ्तर में उसका बॉस उसके ऊपर रौब झाड़ते है। इन सबसे बचने के लिए मुंगेरीलाल एक नायाब तरीका ढूंढ लेता है – अपने सपने में वो सभी से बदला लेता है। रघुबीर यादव का कॉमेडी साइड इस सीरियल में अच्छी तरह से उभर कर सामने आया था।