जब माधुरी दीक्षित से सीनियर होने का सबूत माँगा गया तब इत्तेफ़ाक़ से उनको ये सुपरहिट फिल्म मिली


तेज़ाब में काम करने का मौका माधुरी दीक्षित के लिए पूरी तरह से इत्तेफ़ाक़ था। लगातार 9 फ्लॉप फिल्मे देने के बाद माधुरी की नैया फ़िल्मी जगत में बस डूबने वाली थी और उनको साइन करने को लेकर कोई भी निर्माता निर्देशक ज्यादा उत्साह नहीं दिखा रहा था। ये उनके सेक्रेटरी की मेहनत और अच्छी किस्मत थी जिसको वजह से माधुरी को उनकी पहली सुपरहिट फिल्म में काम करने का मौका मिला।


नागरिक न्यूज admin
मनोरंजन Updated On :

दक्षिण के निर्देशक टी रामाराव की फिल्म खतरों के खिलाडी की शूटिंग पूरी हो गयी थी और जब रिलीज़ के पहले फिल्म के पोस्टर बनाने की बात आयी तब पोस्टर में माधुरी के नाम के आगे अभिनेत्री नीलम के नाम को आगे रखा गया। जब माधुरी के सेक्रेटरी रिक्कू राकेशनाथ ने पोस्टर में नीलम के नाम को माधुरी के नाम के ऊपर देखा तब उन्होंने इस बात पर अपनी आपत्ति दर्ज़ कराई। टी रामाराव ने उनको कहा की अगर वो माधुरी के सीनियर होने का सबूत देंगे तब वो माधुरी का नाम ऊपर कर देंगे।

इसके तुरंत बाद राकेशनाथ ने रुख किया नीलम की पहली फिल्म जवानी के निर्देशक रमेश बहल की ऑफिस की ओर और वहा पहुंच कर उन्होनों रमेश बहल से फिल्म जवानी का रिलीज़ डेट कंपनी के लेटरहेड पर देने की गुज़ारिश की। लेटर मिलने के तुरंत बाद उन्होंने रुख किया माधुरी की पहली फिल्म अबोध के निर्माता राजश्री प्रोडक्शन के दफ्तर की ओर और वहां भी उन्होंने फिल्म के रिलीज़ डेट का सर्टिफकेट एक लेटरहेड पर देने की गुज़ारिश की। 

दोनों लेटरहेड से एक बात साफ़ थी की 1984 में दोनों फिल्में रिलीज़ हुई थी और माधुरी की फिल्म ने बाॅक्स आफिस पर पहले दस्तक दी थी। टी रामाराव ने उनकी बात मानकर माधुरी का नाम फिल्म के पोस्टर ओर उसके क्रेडिट मे नीलम के नाम के आगे कर दिया। जब राकेशनाथ राजश्री के दफ्तर में थे तब वही पर उनकी मुलाकात निर्देशक एन चंद्रा से हुई जो अनिल कपूर के साथ अपनी अगली फिल्म बनाने वाले थे। वही पर उन्होंने रिक्कू को बताया की वो फिल्म के लिए एक नयी लड़की की तलाश में है। 

राकेशनाथ को लगा की माधुरी के लिये ये एक अच्छा मौका है और लगे हाथ उन्होंने माधुरी का पोर्ट फोलियो उनको दिखा दिया। जब एन चंद्रा को पूरी तरह से संतुष्टि नहीं हुई तब उन्होने माधुरी की पहली फिल्म अबोध के रशेस देखने की इच्छा जाहिर की। ये इत्तेफ़ाक़ की बात थी की जिस जगह ये बात चल रही थी वो राजश्री का दफ्तर था और माधुरी की पहली फिल्म अबोध के निर्माता वही थे। राकेशनाथ ने एन चंद्रा की ये भी इच्छा लगे हाथ पुरी कर दी और इसके बाद उनको लगा की उनको अपनी फिल्म की हीरोइन मिल गई है।  लेकिन आगे और भी एक स्पीड ब्रेकर आने वाला था। 

जब अनिल कपूर को माधुरी के बारे में बताया गया तब वो भी दुविधा में थे की एक कामकाजी औरत का किरदार अपनी पहली फिल्म में निभाने वाली माधुरी एक कैबरे डांसर की भूमिका कैसे निभा पायेगी। लेकिन अपने पहले ही स्क्रीन टेस्ट में माधुरी ने जता दिया की उनके अंदर नाच की कला भरी पड़ी है।

फिल्म की शूटिंग ख़त्म होने के बाद माधुरी अपनी बहन से मिलने अमेरिका चली गयी थी और जब फिल्म दीवाली के वक़्त 11 नवंबर 1988 को रिलीज़ हुई तब भी माधुरी अमेरिका में ही थी। उन्हें इस बात का जरा भी इल्म नहीं था की फिल्म को हिंदुस्तान में लोगो ने हाथों हाथ ले लिया है और तेज़ाब सुपरहिट फिल्म बनने की कगार पर है। जब वो वापस मुंबई आयी तब उन्होंने एयरपोर्ट पर लोगो को उनको मोहिनी कहते हुआ सुना जिसके बाद वो समझ गयी थी की उनको एक सुपरहिट फिल्म नसीब हुई है।

फिल्म तेज़ाब का एक बड़ा हाईलाइट था इसका गाना एक दो तीन जो माधुरी के ऊपर फिल्माया गया था। बहुत कम लोगो की इस बात की जानकारी है की इस गाने को महज दो दिनों में मुंबई के मेहबूब स्टूडियो में शूट किया गया था और इस गाने को रियल बनाने के लिए क्लब में जूनियर एक्टर्स के बदले आम जनता को रखा गया था।

इस सुपरहिट फिल्म का आग़ाज़ भी भी बड़े शानदार तरीके से किया गया था। फिल्म के महूरत के मौके पर जीतेन्द्र मौजूद थे जबकि क्लैप देने के लिये खुद अमिताभ बच्चन सेट पर आये थे। इस फिल्म में एन चंद्रा के करीबी नाना पाटेकर की भी एक अहम् भूमिका थी लेकिन जब नाना को अपना रोल पसंद नहीं आया तब उन्होंने फिल्म से खुद को किनारा कर लिया था। आगे चल कर नाना की इस हरकत से चंद्रा इतने आहत हुए थे की उन्होंने पूरी फिल्म से नाना का वो रोल ही हटा दिया था। बहरहाल किस्मत ने माधुरी को उनको पहली सुपरहिट फिल्म तो दिला ही दी थी।