नई दिल्ली। 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में 15 फिल्में प्रतिष्ठित स्वर्ण मयूर हासिल करने की दौड़ में हैं। इन फिल्मों में कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ भी शामिल है। महोत्सव का आयोजन गोवा में 20 नवंबर से 28 नवंबर, 2022 तक होगा। इन फिल्मों में 12 अंतर्राष्ट्रीय और तीन भारतीय फिल्में शामिल हैं जो कला के माध्यम से कोई न कोई संदेश देती हैं।
तीसरे इफ्फी में पहली बार स्वर्ण मयूर पुरस्कार दिया गया था। उसके बाद से यह पुरस्कार एशिया में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाने लगा है। निर्णायक-मंडल के सामने इस वर्ष के विजेता का चुनाव करने का लगभग असंभव सा काम था। उन्हें इजराइली लेखक और फिल्म निर्देशक नदव लैपिड, अमेरिकी निमार्ता जिनको गोटोह, फ्रांसीसी फिल्म-संपादक पास्कल शावान्स, फ्रांसीसी वृतचित्र निमार्ता, फिल्म आलोचक और पत्रकार जावियेर आगुलो बातूर्रेन तथा भारत के अपने फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन जैसे महारथियों में से चुनाव करना था।
‘द कश्मीर फाइल्स’ हिन्दी फिल्म 1990 को हुए कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित है। इसे विवेक अग्निहोत्री ने निर्देशित किया है। कहानी फिल्म के मुख्य पात्र कृष्णा के सहारे आगे बढ़ती है। वह युवा है और एक कॉलेज में पढ़ता है। आगे चलकर उसे अपने माता-पिता की असमय मृत्यु के रहस्य का पता चलता है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के मुताबिक इस बार की कठिन प्रतिस्पर्धा में ‘परफेक्ट नंबर’ फिल्म भी शामिल है। यह ड्रामा पोलिश फिल्म निमार्ता क्रिज्तोफ जानुसी की फिल्म है, जो नैतिकता और नश्वरता पर मंथन करती है। इसे इटली और इजराइल ने मिलकर बनाया है। फिल्म में एक युवा गणितज्ञ और उसके दूर के रिश्तेदार के बीच के सम्बन्ध को दिखाया गया है, कि कैसे वे अचानक मिलते हैं और इस रहस्यों से भरी दुनिया के बारे में, जीवन-मृत्यु के बारे में गहरे ध्यान में संलग्न होते हैं।
वही इस रेस में शामिल एक अन्य फिल्म ‘रेड शूज’ को मैक्सिको के कार्लोस आइकिलमैन कायसर ने बनाया है। यह बहुत संवेदनशील और भावुक फिल्म है। यह कहानी एक किसान की है, जो एकांत में रहता है। उसे अपनी बेटी की मृत्यु का समाचार मिलता है। फिल्म धीरे-धीरे आगे बढ़ती है और दिखाती है कि किस तरह वह किसान अपनी बेटी के शव को लाने की कोशिश करता है।
‘ए माइनर (2022)’ फिल्म, एक लड़की के बारे में है, जो अपने पिता के विरोध के बावजूद संगीतकार बनना चाहती है। परिवार के सदस्यों के बीच व्याप्त जटिल रिश्तों, माता-पिता व बच्चे के बीच भिन्न-भिन्न आकांक्षाएं तथा संगीत का जादू इस फिल्म की विषयवस्तु है।
‘नो एन्ड (2021)’ मूवी में ईरानी ड्रामा में ईरान की खुफिया पुलिस की साजिशों और कारनामों को दर्शाया गया है।
‘मेडीटिरेनियन फीवर (2022)’ फलिस्तीनी-इजराइली लेखक-निर्देशक माहा हाज की यह फिल्म एक ब्लैक-कॉमेडी है। यह दो प्रौढ़ों की कहानी है, जो ह्यकभी दोस्त-कभी दुश्मन बन जाते हैं। व्हेन दी वेव्ज आर गॉन नामक एक अन्य फिल्म फिलीपीन के फिल्म निमार्ता लाव डायज ने बनाई है। इस फिल्म की कहानी फिलीपीन के एक पुलिस जांचकर्ता के बारे में है, जो नैतिकता के ताने-बाने में उलझ जाता है। फिल्म में उसके अंधकरामय अतीत के बारे में दिखाया गया है, जो हमेशा उसका पीछा करता रहता है।
‘आई हैव इलेक्ट्रिक ड्रीम्स’ फिल्म में 16 वर्ष की एक लड़की इवा की कहानी है, जिसके माता-पिता का तलाक हो चुका है। वह अपने पिता से बहुत जुड़ी हुई है। जब वह पिता के साथ फिर से जुड़ने की कोशिश करती है, तो उसे पिता और अपने बारे में कुछ हैरान करने वाले सूत्र मिलते हैं।
‘कोल्ड एज मार्बल’ अजरबैजान के फिल्म निर्देशक आसिफ रुस्तामोव की यह फिल्म क्राइम ड्रामा, साइको-थ्रिलर है।
‘द लाइन’ यह फिल्म फ्रांसीसी-स्विस फिल्म निमार्ता उसुर्ला मायर की है और बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन बेयर के लिये नामांकित हुई थी। इसमें एक परिवार के आपसी बंधन की कहानी है।
इस रेस में शामिल ‘सेवेन डॉग्स’ नामक एक अन्य फिल्म का प्रीमियर चौथे कायरो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुआ था। यह फिल्म एक अकेले इंसान के संघर्ष की कहानी है, जो अपने सात कुत्तों को पालने के लिये तमाम समस्याओं से गुजरता है। फिल्म अर्जेन्टीना के रोड्रिगो ग्वेवरा की चौथी फिल्म है। फिल्म 80 मिनट की है तथा इन्सान और उसके पालतू जानवरों के बीच के जुड़ाव को दर्शाती है।