नई दिल्ली। भारत की आजादी को ‘भीख’ बताने पर लोगों की आलोचना झेल रहीं बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत ने पलटवार करते हुए अपने आलोचकों से सवाल किया है कि 1947 में कौन सी लड़ाई लड़ी गई थी। इसके साथ ही उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर कोई उनके सवाल का जवाब दे सके तो वह अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटा देंगी और माफी भी मांगेंगी।
अक्सर अपनी भड़काऊ टिप्पणियों को लेकर चर्चा में रहने वाली एक्ट्रेस पर बयान वापस लेने का दबाव बढ़ता जा रहा है। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना ने कहा कि उनसे सभी राष्ट्रीय पुरस्कार वापस ले लेने चाहिए और दिल्ली महिला कांग्रेस ने भी पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर कहा कि कंगना पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। बहरहाल, इतना सब होने के बावजूद भी कंगना अपने रुख पर कायम हैं।
कंगना ने इंस्टाग्राम पर कई सवाल उठाते हुए विभाजन और महात्मा गांधी का भी जिक्र किया साथ ही यह आरोप लगाया कि उन्होंने भगत सिंह को मरने दिया और सुभाष चंद्र बोस का समर्थन नहीं किया।
इसी के साथ ही कंगना ने बाल गंगाधर तिलक, अरविंद घोष और बिपिन चंद्र पाल समेत कई स्वतंत्रता सेनानियों को उद्धृत करते हुए एक किताब का अंश भी शेयर किया और कहा कि वह 1857 की “स्वतंत्रता के लिए सामूहिक लड़ाई” के बारे में जानती थीं, लेकिन 1947 की लड़ाई के बारे में कुछ नहीं जानती थीं।
34 वर्षीय कंगना ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरीज में अंग्रेजी में एक लंबी पोस्ट में लिखा, “सिर्फ सही विवरण देने के लिए… 1857 स्वतंत्रता के लिए पहली सामूहिक लड़ाई थी और सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी जैसे महान लोगों ने कुर्बानी दी।”
इसी के साथ ही उन्होंने लिखा, “…1857 का मुझे पता है, लेकिन 1947 में कौन सा युद्ध हुआ था, मुझे पता नहीं है, अगर कोई मुझे अवगत करा सकता है तो मैं अपना पद्मश्री लौटा दूंगी और माफी भी मांगूंगी… कृपया इसमें मेरी मदद करें।”
क्या है पूरा विवाद
कंगना एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि भारत को ‘‘1947 में आजादी नहीं, बल्कि भीख मिली थी’’ और ‘‘जो आजादी मिली है वह 2014 में मिली’’, जब नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई।
जिसके बाद एक्ट्रेस के इस विवादित टिप्पणी पर चैनल ने ट्वीट किया कि, ‘‘कंगना रनौत सोच सकती है कि भारत को 2014 में आजादी मिली लेकिन कोई भी सच्चा भारतीय इसका समर्थन नहीं कर सकता। यह उन लाखों स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहूति दी ताकि मौजूदा पीढ़ियां एक लोकतंत्र के स्वतंत्र नागरिकों की तरह आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा के साथ जिंदगी जी सके।’’
कंगना ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पदमश्री से सम्मानित किये जाने के दो दिन बाद यह विवादित टिप्पणी की जिसे लेकर तमाम दलों के नेता, इतिहासकार, शिक्षाविद, साथी कलाकार समेत विभिन्न लोगों ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी और कई लोगों ने कहा कि उन्हें अपना सम्मान वापस कर देना चाहिए। जिस मुद्दे को एक्ट्रेस ने अपने सवाल के जरिए जारी रखा।
साल 2019 में आई अपनी फिल्म “मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी” का संदर्भ देते हुए कंगना ने कहा कि उन्होंने 1857 के संघर्ष पर व्यापक शोध किया था। जिस फिल्म में कंगना ने रानी लक्ष्मीबाई का किरदार निभाया है।
कंगना ने कहा, “…राष्ट्रवाद का उदय हुआ, साथ ही दक्षिणपंथ का भी… लेकिन उसकी अकाल मृत्यु क्यों हुई? और गांधी ने भगत सिंह को क्यों मरने दिया… नेता बोस को क्यों मारा गया और उन्हें गांधी जी का समर्थन कभी नहीं मिला? विभाजन की रेखा एक श्वेत आदमी द्वारा क्यों खींची गई थी…? आजादी का जश्न मनाने के बजाय भारतीयों ने एक-दूसरे को क्यों मारा, कुछ जवाब जो मैं मांग रही हूं कृपया मुझे ये जवाब खोजने में मदद करें।”
ब्रिटिश द्वारा भारत को ‘जी भर कर लूटने’ का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि “आईएनए द्वारा एक छोटी सी लड़ाई” से भी हमें आजादी मिल जाती और बोस प्रधानमंत्री हो सकते थे।
कंगना ने लिखा, “जब दक्षिणपंथी लड़ने और आजादी लेने के लिए तैयार थे तो उसे (आजादी को) कांग्रेस के भीख के कटोरे में क्यों रखा गया… क्या कोई मुझे समझने में मदद कर सकता है।”
रनौत ने कहा कि अगर कोई उन्हें सवालों के जवाब खोजने में मदद कर सकता है और यह साबित कर सकता है कि उन्होंने शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है, तो वह अपना पद्म श्री वापस कर देंगी।
इसी के साथ ही कंगना ने अपने बयान के उस हिस्से को भी स्पष्ट किया जहां उन्होंने कहा कि देश ने “2014 में स्वतंत्रता” प्राप्त की। उन्होंने कहा, “जहां तक 2014 में आजादी का संबंध है, मैंने विशेष रूप से कहा था कि भौतिक आजादी हमारे पास हो सकती है लेकिन भारत की चेतना और विवेक 2014 में मुक्त हुआ… एक मृत सभ्यता जीवित हो उठी और अपने पंख फड़फड़ाए और अब ऊंची उड़ान भर रही है।”
कंगना के खिलाफ उठी आवाज
पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना को लिखे पत्र में दिल्ली महिला कांग्रेस प्रमुख अमृता धवन ने उनसे रनौत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना), धारा 505 (सार्वजनिक शरारत) और धारा 124ए (राजद्रोह) तथा कानून की अन्य संबंधित धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज करने तथा सक्षम अदालत के समक्ष उचित आपराधिक मुकदमा शुरू करने का अनुरोध किया।
धवन ने आरोप लगाया कि रनौत ने उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों का ‘‘सार्वजनिक अपमान’’ तथा ‘‘अनादर’’ किया, जिन्होंने देश की आजादी के संघर्ष के दौरान अपने प्राण न्योछावर किये। शिवसेना ने भी रनौत की आलोचना की। पिछले साल मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से करने के बाद रनौत और शिवसेना के बीच टकराव चलता रहता है।
अपनी पार्टी के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में शिवसेना ने मांग की कि रनौत से सभी राष्ट्रीय पुरस्कार वापस ले लिए जाएं। इससे एक दिन पहले जोधपुर में महिला कांग्रेस ने उनके खिलाफ एक शिकायत दर्ज करायी। वहीं, इंदौर में स्वतंत्रता सेनानियों के एक समूह ने अभिनेत्री का पुतला फूंकते हुए उनसे माफी की मांग की और इंदौर मंडल आयुक्त कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपा। मुंबई में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने उनके घर के बाहर प्रदर्शन किया।
भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी, महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल, महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कई नेताओं ने रनौत के बयान के लिए उनकी आलोचना की।
बहरहाल अपने बयान को लेकर कंगना अड़िग हैं और चारों ओर से हो रही आलोचनाओं के बाद भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। जिस बात का पता उनके इंस्टाग्राम स्टोरी पर पूछे गए सवालों से पता चलता है।