ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म सात हिंदुस्तानी बॉक्स ऑफिस पर कोई ख़ास कमाल नहीं कर पायी थी लेकिन शानदार अभिनय के लिए इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन को नेशनल अवार्ड दिलवा दिया था। लेकिन इस शानदार उपलब्धि के बावजूद भी फिल्म निर्माता अमिताभ को उस दौर में अपनी फिल्म में लेने से कतराते थे। अमिताभ बच्चन के लिए हालात इतने नाजुक हो गए थे की एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने वापस घर लौटने का फैसला कर लिया। ये वो दौर था जब अमिताभ, महमूद और उनके भाई अनवर के साथ रहते थे। ऐसे मौके पर महमूद ने उनका हौसला बढ़ाया था और उनको हिम्मत नहीं हारने की सलाह दी।
इसके बाद जिन फिल्म निर्माताओं से महमूद की पहचान थी, उनकी फिल्मों के लिए वो अमिताभ के नाम की सिफारिश करने लगे। उनकी पहली सिफारिश हृषिकेश मुखर्जी को थी जो उस वक़्त आनंद बना रहे थे। एन सी सिप्पी उस फिल्म का निर्माण किशोर कुमार और महमूद के साथ करने वाले थे और इसके पहले वो महमूद की कई फिल्मों के लिए प्रोडक्शन मैनेजर का काम कर चुके थे। जब एक गलतफहमी की वजह से किशोर कुमार ने फिल्म को मना कर दिया तब महमूद को भी वो फिल्म छोड़नी पड़ी। जब कई सितारों ने आनंद को करने से मना कर दिया तब महमूद ने हृषिकेश मुखर्जी को यही कहा की एक बार वो अमिताभ बच्चन को इस फिल्म के लिए आजमा ले।
आनंद के बाद महमूद ने निर्माता प्रमोद चक्रवर्ती से उनकी फिल्म के लिए सिफारिश की।उस दौरान उनकी फिल्म तुमसे अच्छा कौन है सुपरहिट हो चुकी थी और प्रमोद अपनी फिल्म नया ज़माना की शूटिंग शुरू करने वाले थे। जब प्रमोद महमूद की बात अनसुनी करने लगे तब एक दिन महमूद, अमिताभ बच्चन के साथ नटराज स्टूडियो में उनके दफ्तर पहुंच गए और उनके ऊपर अमिताभ को साइन करने का दबाव डाला। महमूद की बातों को प्रमोद चक्रवर्ती मना नहीं कर सके और फ़ौरन ५००० रुपये देकर उनको इस शर्त के साथ साइन किया की आगे चलकर वो उनके साथ फिल्म बना भी सकते है और नहीं भी।
महमूद ने इसके बाद अमिताभ बच्चन को फिल्म परवाना साइन करवाने में भी एक बहुत बड़ी भूमिका निभाई। पड़ोसन बनाने वाले ज्योति स्वरुप अपनी नयी फिल्म के लिए एक विलन की तलाश में थे। जब महमूद को इस बात की खबर मिली तब उन्होंने उनसे सिफारिश की की वो उस रोल के लिए अमिताभ बच्चन को साइन कर ले। इसके बाद महमूद ने अपनी होम प्रोक्शन बॉम्बे टू गोवा के लिए अमिताभ बच्चन को ही मुख्य भूमिका करने का ऑफर दिया। बॉम्बे टू गोवा के लिए महमूद के यूनिट के कई लोगो ने उनको सलाह दी की अमिताभ बच्चन के नाम पर कोई फिल्म देखने नहीं आएगा और उनके बदले वो जीतेन्द्र को साइन कर ले लेकिन महमूद ने अपनी यूनिट मेंबर्स की बात अनसुनी कर दी।
महमूद का अगला पड़ाव था निर्माता जी एस रोशन का दफ्तर। उनसे मिलकर भी महमूद ने उनके ऊपर दबाव डाला की वो अपनी फिल्म दुनिया का मेला के लिए उनको साइन करे। दुनिया का मेला में महमूद एक महत्वपूर्ण भूमिका करने वाले थे। ये अलग बात है की उस फिल्म में बाद में अभिनेता संजय खान को अमिताभ बच्चन के बदले ले लिए गया था। ये फिल्म भी महमूद की वजह से अमिताभ बच्चन को मिल गयी। महमूद का यही मानना था की अमिताभ बच्चन में अपार क्षमताये है और जिस दिन वो रेस में शिरकत करना शुरू कर देंगे वो सभी को पीछे छोड़ देंगे। गौरतलब है की महमूद ने अमिताभ बच्चन के लिए ये सब कुछ तब किया जब उनकी हैसियत फिल्म जगत में ना के बराबर थी। बाद में जब सलीम जावेद ने बॉम्बे टू गोवा देखी तब उसमे अमिताभ बच्चन के अभिनय को देखकर निर्देशक प्रकाश मेहरा से उनको फिल्म ज़ंजीर में लेने की गुजारिश की।