मलयालम अभिनेता दिलीप को केरल हाईकोर्ट से बड़ी राहत, 2017 के यौन उत्पीड़न मामले में हुए बरी

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लगभग आठ साल की कानूनी लड़ाई के बाद, केरल की एक अदालत सोमवार को 2017 के यौन उत्पीड़न मामले में अपना फैसला सुनाया इस मामले में मलयालम अभिनेता दिलीप मुख्य आरोपियों में से एक थे। वहीं इस केस में मलायलम एक्टर दिलीप को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दरअसल उन्हें केरल कोर्ट ने मामले में बरी कर दिया है।

एर्नाकुलम के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायालय ने सोमवार (8 दिसंबर) को 2017 के अभिनेत्री बलात्कार और अपहरण मामले में मलयालम अभिनेता दिलीप को बरी कर दिया। श्रीमती हनी एम। वर्गीस ने आज खुली अदालत में यह फैसला सुनाया, जिससे 8 साल से चल रहे मुकदमे का अंत हो गया। न्यायाधीश ने पल्सर सुनी (ए1), मार्टिंग एंटनी (ए2), बी मणिकंदन (ए3), वीपी विजेश (ए4), एच सलीम (ए5), और सी प्रदीप (ए6) को बलात्कार, षडयंत्र, अपहरण और अन्य अपराधों का दोषी पाया। उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 340, 354, 366, 354बी और 376डी के तहत अपराधों का दोषी पाया गया है। उनकी सज़ा 12 दिसंबर को सुनाई जाएगी। अभिनेता दिलीप (A8) पर अपराध के पीछे मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया गया था।

यह मामला एक प्रमुख मलयालम अभिनेत्री के अपहरण और कथित यौन उत्पीड़न से जुड़ा है 17 फरवरी, 2017 को कोच्चि में उनकी कार के अंदर लगभग दो घंटे तक उनके साथ छेड़छाड़ की गई थी। इस दिल दहला देने वाले मामले में 10 दस आरोपियों पर केस दर्ज किया गया था, जिनमें पल्सर सुनी, मार्टिन एंटनी, मणिकंदन बी, विजेश वीपी, सलीम एच, प्रदीप, चार्ली थॉमस, दिलीप (असली नाम पी गोपालकृष्णन), सानिल कुमार उर्फ ​​मेस्थरी सानिल और शरथ शामिल हैं।

उन पर भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए, जिनमें षड्यंत्र, अपहरण, यौन उत्पीड़न, सामूहिक बलात्कार, सबूत नष्ट करना और साझा इरादे के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराएं भी शामिल हैं। दिलीप पर सबूत नष्ट करने का एक अतिरिक्त आरोप भी था। पुलिस ने पहला आरोपपत्र अप्रैल 2017 में दायर किया था और दिलीप को उसी वर्ष जुलाई में गिरफ्तार किया गया था, जब जाँचकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि मुख्य आरोपी पल्सर सुनी ने उसे जेल से एक पत्र भेजा था। उसे अक्टूबर 2017 में ज़मानत मिल गई थी। उसी साल बाद में एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की गई थी, हालांकि कई आरोपियों को या तो बरी कर दिया गया था या वे सरकारी गवाह बन गए थे।

2018 में, दिलीप ने केरल पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की माँग की थी। हालांकि अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि कोई भी आरोपी जांच एजेंसी नहीं चुन सकता।इस साल की शुरुआत में एक बेंच ने भी उनकी अपील खारिज कर दी थी, यह देखते हुए कि मुकदमा लगभग पूरा होने वाला है।

2021 में, फिल्म निर्माता बालचंद्र कुमार द्वारा दिलीप पर हमले के विजुअल्स रखने का आरोप लगाने के बाद आगे की जांच के आदेश दिए गए थे। जांच अधिकारियों को नुकसान पहुंचाने की साज़िश का आरोप लगाते हुए एक और मामला भी दर्ज किया गया था। 2022 में, अदालती हिरासत में रखे मेमोरी कार्ड तक अवैध पहुंच के आरोपों के बाद उच्च न्यायालय ने फैक्ट फाइंडिंग जांच का आदेश दिया और नए दिशानिर्देश जारी किए थे। मुकदमे के दौरान कुल 261 गवाहों से पूछताछ की गई थी, जिनमें फिल्म उद्योग की कई हस्तियां शामिल थीं, जिनमें से कई अपने बयानों से मुकर गईं। जांच अधिकारी से 109 दिनों तक पूछताछ की गई। अदालत ने 834 दस्तावेज़ स्वीकार किए और बचाव पक्ष के दो गवाहों से भी पूछताछ की गई थी। दो प्रमुख गवाहों, पूर्व विधायक पीटी थॉमस और निर्देशक बालचंद्र कुमार, की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई थी।