
नई दिल्ली। सुशांत सिंह राजपूत को गुजरे आज कुछ दिन हो गए हैं। लेकिन फिल्म बिरादरी सहित पूरा देश अभी भी सदमे में है। सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर कई ऐसे लोग है जो सुशांत सिंह के मौत का आरोप फिल्मी इंडस्ट्री के प्रभावशाली लोगों पर डाल रहे हैं।
कई लोगों का ऐसा मानना है कि अभिनेता को ऐसा भयंकर कदम इसलिए उठाना पड़ा क्यूंकि इंडस्ट्री के लोग उन्हें अपनाते नहीं थे और उनके काम के लिए उन्हें सराहना नहीं मिली। इन आरोपों ने अतीत के एक बहुत चर्चित तथा बहस वाले विषय नेपोटिज्म और फिल्मी परिवार से आये हुए अभिनेता को बिना किसी कनेक्शन, सपनों के शहर आये हुए नए अभिनेता से विशेषाधिकार मिलता है। इसे वापिस ला दिया है।
भावेश कुमार कहते हैं कि माता-पिता अपने बच्चों के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश करते हैं। एक किसान का बेटा बड़ा होकर किसान बनता है और एक डॉक्टर अपने बेटे या बेटी से उसके कदमों पर चलने की उम्मीद करता है। यहां तक जो माता-पिता गरीब हैं जिनके पास सीमित साधन हैं वह भी अपने बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए सारे प्रयास करते हैं।
इसी तरह अगर फिल्म इंडस्ट्री के लोग अपने बच्चों को लॉन्च करते हैं या उन्हें अपना टैलेंट दिखाने का मंच देते हैं तो किसी को इस पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। भावेश कुमार ने पिछले साल फिल्म डिफाल्टर से बॉलीवुड में शुरुआत की। जिसमें उन्होंने एक युवा एथलीट का किरदार निभाया जो जाति सम्बन्धित हिंसा का शिकार होता है। उनकी फिल्म ने दर्शकों और अलोचको का दिल जीत लिया। यह सच है कि फिल्मी बैकग्राउंड से आने वाले लोगों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए देश के अन्य हिस्सों से आने वालों पर थोड़ा फायदा होता है। लेकिनए अंत में, आपका टैलेंट खुद के लिए बोलता हैं।
मुझे अपनी पहली फिल्म के लिए बहुत प्यार और सराहना मिली। उसके बाद मैंने एक टीवी धारावाहिक के लिए ऑडिशन दिया और भूमिका के लिए शीर्ष दावेदारों में से एक था। भावेश कहते हैं कि मैं अपनी असफलताओं को उतनी ही विनम्रता से स्वीकार करता हूं। जितनी अपनी सफलताओं को स्वीकार करता हूं।