कई असफलताओं से गुजरा पंकज त्रिपाठी की “सफलता” का रास्ता

नई दिल्ली। बिहार के गोपालगंज से ताल्लुक रखने वाले अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने गैंग्स ऑफ वासेपुर, गुड़गांव, मिर्जापुर, सेक्रेड गेम्स, मसान, न्यूटन, बरेली की बर्फी, गुंजन सक्सेना: द करगिल गर्ल जैसी फिल्मों और वेब सीरीज में महत्वपूर्ण और पेचीदा भूमिकाएं निभायी हैं। साल 2004 में फिल्म ‘रन’ में अनाम किरदार से अपनी अभिनय यात्रा की शुरुआत करने वाले अभिनेता पंकज त्रिपाठी की सफलता का रास्ता ‘कई विफलताओं’ से होकर गुजरा है। हालांकि आज जब त्रिपाठी पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्हें अपनी उन असफलताओं का कोई मलाल नहीं है।

त्रिपाठी ने कहा कि आज वे जिस मुकाम पर खड़े हैं, उसका श्रेय शुरुआती संघर्षों को जाता है। त्रिपाठी ने पीटीआई को बताया, वे मेरे शुरुआती दिन थे। मैं आज जो कुछ भी हूं, वह पुरानी गलतियों और उस समय जो मैंने अच्छी चीजें की थी, उसकी देन है। मेरे जेहन में बाबा नागार्जुन की कविता-‘जो न हो सके पूर्ण काम, उनका करता हूं मैं प्रणाम’ की कविता चलती थी। उनका कहना है कि अगर उनका बचपन कठिनाइयों में नहीं गुजरा होता तो वह मौजूदा व्यक्तित्व को नहीं पा सकते थे।

उन्होंने कहा, हमारा जो अतीत होता है, वह हमेशा ठीक ही होता है। मेरा मानना है कि जो कुछ भी होता है, अच्छे के लिए होता है। इसलिए वह सारी विफलताएं ठीक ही थी। आशावाद का यह दर्शन त्रिपाठी के हर काम में झलकता है, चाहे वह ‘मिर्जापुर’ में कालीन भैया नाम के खलनायक का किरदार ही क्यों न हो। अमेजन प्राइम पर प्रसारित मिर्जापुर में उन्होंने कालीन भैया नाम के खलनायक का किरदार अदा किया है।

अभिनेता ने कहा, मैं ऐसा व्यक्ति हूं जो चीजों को ठहराव के साथ करना पसंद करता है और इसलिए मैं कालीन भैया के किरदार में ‘ठहराव’ लाया। वह नकारात्मक है। मैं अपने किरदार इस उम्मीद के साथ निभाता हूँ कि कहीं वे अच्छे होंगे या बेहतरी के लिए खुद को बदल सकते हैं। इसलिए मैं अपने सभी किरदारों में कुछ मानवीय पुट और उम्मीद भरता हूं। आप उसे ऊपर से खराब नहीं पाएंगे, आपको उसकी बुराई को देखने के लिए अंदर झांकना होगा।

‘मिर्जापुर’ में उत्तर भारत की तकलीफों को दिखाने के एक सवाल के जवाब में वह कहते हैं कि शिक्षा सिर्फ नौकरी पाने का जरिया होने से ज्यादा व्यक्तित्व विकास का जरिया होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जिन लोगों के साथ बड़ा हुआ और जब मैं उनसे बातेँ करता हूं, चाहे वे बड़े शहरों में ही क्यों न रह रहें हों तो पाता हूं कि वह व्यक्ति खुद के विकास की राह में कहीं रूक सा गया है और इनमें से 90 फीसदी लोगों को महसूस भी नहीं होता कि इसमें कुछ दिक्कत है।

हमने शिक्षा को सिर्फ नौकरी पाने का माध्यम बना दिया।’’ कहा कि ‘मिर्जापुर’ के दूसरे सीजन को लेकर लोगों में काफी उम्मीदें आ गईं। दूसरे सीजन का प्रसारण 23 अक्टूबर से हो रहा है। त्रिपाठी ने कहा कि उन्होंने जब इसकी पटकथा पढ़ी थी तो वह पसंद आई थी लेकिन यह शो और किरदार इतना लोकप्रिय हो जाएगा, इसके बारे में नहीं सोचा था।

First Published on: October 13, 2020 9:31 AM
Exit mobile version