मालामाल वीकली (निर्देशक – प्रियदर्शन) (2006)
परेश रावल ने प्रियदर्शन की फिल्म मालामाल वीकली में एक ग्रामीण का किरदार निभाया था जो अपना गुजारा लाटरी टिकट बेच कर करता है। सफ़ेद धोती-कुर्ता, मैले और निकले दांतो को देखकर यही लगा था की लीलाराम का किरदार उनके अंदर समां गया है।
टेबल नंबर 21 (निर्देशक – आदित्य दत्त) (2013)
टेबल नंबर 21 कब रिलीज़ हुई और कब सिनेमाहॉल्स से उतर गयी किसी को पता भी नहीं चला। फिजी मे शुट की गई इस फिल्म के ना चलने की सबसे बडी वजह यही थी की ये फिल्म बेहद ही साधारण थी लेकिन फिल्म में विलन बने परेश का गेट अप बिलकुल निराला था।
हिम्मतवाला (निर्देशक – साजिद खान) (2013)
हिम्मतवाला का नाम बीतें दशक की सबसे खराब फिल्मों में शुमार होता है. एक क्लासिक के साथ बिना किसी सोच समझ के साथ जब खिलवाड़ किया जाता है तब उसका नतीजा होता है साजिद खान निर्देशित हिम्मतवाला। लेकिन इस फिल्म में भी परेश रावल ने एक बार फिर से दिखा दिया था की उनके किरदार में भले ही गहराई ना हो लेकिन ऊपरी रूप से तो उसे शत प्रतिशत नंबर मिलने ही चाहिए।
हेरा फेरी ((निर्देशक – प्रियदर्शन) (2006)
बाबूराव गणपतराव आप्टे के किरदार ने कई चीज़ें बदल दी थी फिल्म इंडस्ट्री में जब ये फिल्म 2000 में रिलीज़ हुई थी। कॉमेडी फिल्मो का ढर्रा बदला, आम आदमी एक बार फिर से उभर कर सामने आया और लगे हाथ परेश रावल ने दुनिया को दिखा दिया की वो खलनायक की भूमिका के अलावा कॉमेडी भी बखूबी कर सकते है।
संजू ((निर्देशक – राजू हीरानी) (2018)
दिवंगत सुनील दत्त के रोल में परेश रावल भले ही असल सुनील दत्त जैसे फिल्म में ना दिखे हो लेकिन उनकी चाल-ढाल और तौर-तरीको पर उन्होंने राजू हिरानी की फिल्म संजू में फतह पा ली थी।
तमन्ना ((निर्देशक – महेश भट्ट) (2006)
महेश भट्ट निर्देशित तमन्ना में परेश रावल एक बहुत ही कठिन भूमिका में नज़र आये थे। टीकू अली सईद के रोल में में वो एक किन्नर बने थे फिल्म में। महेश भट्ट पहले इस रोल के लिए मनोज बाजपेयी को लेना चाहते थे लेकिन आखिरी वक़्त में उनको लगा की इस भूमिका के साथ परेश रावल ही न्याय कर पाएंगे।
सरदार (निर्देशक – केतन मेहता) (1993)
केतन मेहता निर्देशित सरदार परेश रावल के करियर की एक उत्कृष्ट फिल्म है। इस फिल्म को देखने के बाद मुमकिन है की आप किसी और सितारे को सरदार के रूप में सोच नहीं पाएंगे।