श्रीदेवी को चोटी पर पहुंचाने में सरोज खान का बहुत बड़ा हाथ था


सरोज खान को लोग अक्सर उन्ही गानो के लिए जानते है जो माधुरी दीक्षित पर फिल्माए गए थे लेकिन श्रीदेवी को भी पायदान पर ऊपर बिठाने में सरोज खान का बहुत बड़ा हाथ था।


नागरिक न्यूज admin
मनोरंजन Updated On :

सरोज खान के अंदर कुछ ऐसी चीज़ें थी जो उस ज़माने के कोरियोग्राफर्स के अंदर नहीं थी। उनके अंदर बहुमुखी प्रतिभा थी और उनका रेंज विशाल था। सेट पर वो जब भी होती थी अनुशासन का माहौल हर तरफ होता था और उन्हें अपने ट्रुप के साथियों से लेकर डांस एसोसिएशन की फ़िक्र हमेशा रहती थी। फिल्म थानेदार का गाना तम्मा तम्मा की शूटिंग के दौरान उनका जो झगड़ा संजय दत्त के साथ हुआ था उसकी खबर फिल्म जगत में सभी को उस दौरान थी। अनुशासन मे पूरी तरह से विश्वास रखने की वजह से गुस्सा उनकी नाक पर रहता था। उनके सामने बड़े बड़े सितारे सेट पर नतमस्तक रहते थे अगर बात डांस की कला सिखाने की हो तो। इसमें कोई शक नहीं की अपने ६० साल से ऊपर के फ़िल्मी करियर में सरोज खान ने फिल्मो में डांस को एक नया आयाम दिया था और अगर नंबर वन या नंबर टू अभिनेत्री की बात करें तो उन दोनो के बीच जो फासला होता था उसका नाम सरोज खान ही था। माधुरी अगर नंबर वन बनने में कामयाब रही थी तो उसमे सरोज खान का एक बड़ा हाथ था।

सरोज खान को लोग अक्सर उन्ही गानो के लिए जानते है जो माधुरी दीक्षित पर फिल्माए गए थे लेकिन श्रीदेवी को भी पायदान पर ऊपर बिठाने में सरोज खान का बहुत बड़ा हाथ था। नगीना, चांदनी और मैं तेरा दुश्मन कुछ ऐसी फिल्में थी जिसमे सरोज खान और श्रीदेवी का कॉम्बिनेशन अपने पुरे रंग में नज़र आया। सरोज खान और श्रीदेवी के बीच का एसोसिएशन १९८६ में शुरू हुआ था जो १९९३ तक चला। कर्मा फिल्म में पहली बार सरोज खान और श्री देवी की जुगलबंदी देखने को मिली थी और इस जोड़ी की आखिरी फिल्म थी चाँद का टुकड़ा। फिल्म कर्मा का गाना कश्मीर की वादियों में फिल्माया गया था। ऐसा कहा जाता है की जब सुभाष घई ने उनको बताया की वो श्रीदेवी को कोरियोग्राफ करने वाली है तब उनके होश उड़ गए थे क्योंकि उस दौरान श्रीदेवी की नाच की ट्रेनिंग मास्टर सलीम से हो रही थी जो अपनी विधा में पूरी तरह से पारंगत थे। गाने के पहले शॉट के लिए श्रीदेवी ने १३ टेक्स का सहारा लिया था। 

सरोज और श्रीदेवी ने अपने जादू की छटा २२ फिल्मों में बिखेरी। मैं नागिन तू सपेरा, हवा हवाई, मेरे हाथो में नौ नौ चूडिया, काटे नहीं कटते, ना जाने कहां से आयी है और मोरनी बागा में ऐसे गाने है जो आज भी लोगो के जहन में बसते है और अक्सर उन गानो को गुनगुनाते है। मैं नागिन तू सपेरा के लिए दोनों ने स्टेप्स पर महारत हासिल करने के लिए सात दिनों तक रिहर्सल किया था जबकि काटे नहीं कटते के लिए उन्होंने एक दिन भी रिहर्सल नहीं किया था।

सरोज खान अपने चरम पर उस वक़्त पहुंची जब उन्होंने माधुरी दीक्षित और ऐश्वर्या राय को एक साथ संजय लीला भंसाली की फिल्म देवदास का गाना डोला डोला के लिए कोरियोग्राफ किया। फिल्म जगत में इस तरह की कोरियोग्राफी पहली बार देखी गयी थी और लोगो ने दांतो तले अपने उंगलिया दबा ली थी।

एक डांस रियलिटी शो के दौरान एक परफॉरमेंस से वो इतनी क्षुब्द हो गयी थी की गुस्से में उन्होंने सभी के सामने कह दिया की ये नाच है या सर्कस। सरोज खान से अक्सर इस बात को पूछा जाता था की ६० साल के लम्बे करियर में उनके हिसाब से वो कौन सी अभिनेत्री है जो नाच की विधा में पूरी तरह से पारंगत है। लेकिन इस सवाल का जवाब उन्होंने कभी नहीं दिया। अलबत्ता उन्होंने ये कई बार कहा की माधुरी दीक्षित, श्रीदेवी, हेमा मालिनी के साथ काम करने में उनको बेहद मजा आता है। एक बार उनको ये भी पूछा गया था की अगर उनको माधुरी और श्रीदेवी में से किसी एक की फिल्म काम करने के लिए कहा जाए तो वो किसको चुनना पसंद करेंगी। इस बाबत उनका यही जवाब होता था की वो दोनों ही फिल्मो को छोड़ देंगी।