अकीरा कुरोसावा
कुरोसावा से रे की पहली मुलाकात टोक्यो के एक चाईनीज़ रेस्त्रा में हुई थी जो कुरोसावा का पसंदीदा रेस्त्रा भी था। उस मुलाकात में कुरोसावा की फिल्म सेवन सामुराई के बारे में चर्चा हुई थी। जब रे ने उनसे पूछा की क्या वो आगे चलकर कोई और सामुराई बेस्ड फिल्म बनाने वाले है तो कुरोसावा का यही जवाब था की नहीं अब उतने घोड़े नज़र नहीं आते है।
आंद्रे वाज्दा
पोलिश फिल्मो की सबसे नामी गिरामी हस्ती वाज्दा, इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल ऑफ़ इंडिया के तीसरे संस्करण में शिरकत करने के लिए दिल्ली आये थे। फ़िल्मी पत्रिका फ़िल्मफेयर ने सत्यजीत रे को उनका एक इंटरव्यू करने के लिए कमीशन किया था।
रिचर्ड एटेनबरो
रिचर्ड एटेनबरो ने रे की फिल्म शतरंज के खिलाडी में जनरल आट्रैम की भूमिका निभाई थी। 1976 में जब मानिक दा फिल्म के निर्माता के साथ लंदन उनको साइन करने के लिए गए थे तब वो फिल्म ए ब्रिज टू फॅार की एडिटिंग में मसरूफ थे। जब मानिक दा ने उनको कहा की फिल्म में उनका रोल छोटा है तब एटेनबरो का यही जवाब था की अगर उनको वो अपनी फिल्म में टेलीफोन डायरेक्टरी के नंबर भी बोलने को कहेंगे तो वो ख़ुशी ख़ुशी वो काम भी करेंगे। आगे चल कर रिचर्ड एटेनबरो ने फिल्म गांधी का निर्देशन किया था।
इंगमार बर्गमन
स्वीडिश फिल्मो के बेताज बादशाह इंगमार बर्गमन से पहली बार रे की मुलाकात 1964 में हुई थी जब बर्लिन में उनको एक अवार्ड देने के लिए न्योता दिया गया था।
बिली वाइल्डर
बिली वाइल्डर बॉलीवुड के लिए कोई नया नाम नहीं है। भले ही इनका नाम कम लोग जानते हो लेकिन शायद ये अकेले ऐसे डायरेक्टर है जिनकी आठ फिल्मों को चुराकर बॉलीवुड ने अपने तरीके से फिल्में बनाई थी। दोनों के बीच एक लम्बे समय तक पत्रों के माध्यम से वार्तालाप होती थी लेकिन इनका मिलना पहली बार 1982 के कान्स फ़िल्म फेस्टिवल के दौरान हुआ। ये इत्तेफ़ाक़ की बात थी की जब ये दोनों कॉफ़ी पी रहे थे तब इनके साथ मशहूर निर्देशक जॉन बुरमैन, अन्द्रेई तारकोव्स्की और माइकलएंजेलो एंटोनिओनी भी थे।
जॉन हर्ट
जॉन हर्ट 1987 में कलकत्ता में एक फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में आये थे। उन्होंने मानिक दा से मिलने की इच्छा जाहिर की और शाम को दोनों टाॅलीगंज के एक रेस्त्रा में मिले। इस फोटो में आप ब्रिटिश फिल्मों के सुपरस्टार ह्यू ग्रांट को फोटो के बायें तरफ देख सकते है।
पीटर सेलर्स
ऐसा कहा जाता है की स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ई.टी. का आईडिया सत्यजीत रे की एक कहानी से चुराया गया था। स्पीलबर्ग की फिल्म के पहले कोलंबिया पिक्चर्स की रे से उनकी कहानी के बारे में बात चल रही थी। इसी सिलसिले में वो लॉस एंजेल्स गए थे। बात इतनी आगे बढ़ गयी थी की मार्लन ब्रांडो और स्टीव मैक्क्वीन के नाम की चर्चा भी होने लगी थी। अपने अमेरिका के उसी प्रवास के दौरान रे, पीटर सेलर्स से मिले थे जो फिल्म में हिंदुस्तानी व्यापारी के किरदार को निभाने को बेहद आतुर थे।
रोमन पोलांस्की
चाइना टाउन, द पियानिस्ट, रोजमेरी बेबी सरीखी फिल्में बना कर दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने वाले रोमन पोलांस्की से सत्यजीत रे की मुलाकात 1966 के बर्लिन फिल्म फेस्टिवल के दौरान हुई थी।
गेरार्ड डीपार्डु
गेरार्ड डीपार्डु फ्रेंच सिनेमा में एक जाना माना नाम है और उन्हें हम वहां का अमिताभ बच्चन भी कह सकते है। बहुत कम लोगो को पता है की सत्यजीत रे की फिल्म शाखा प्रोशाखा के निर्माता गेरार्ड थे। गेरार्ड 1989 में कलकत्ता आये थे फिल्म के प्री प्रोडक्शन के सिलसिले में रे से बात करने के लिए।
मार्लोन ब्रांडो
मानिक दा, मार्लन ब्रांडो से पहली बार दिल्ली में 1967 में युनीसेफ के एक जलसे में मिले थे। हॉलीवुड के मशहूर कलाकार मार्लन ब्रांडो जिनके अभिनय का जलवा पुरी दुनिया द गॅाड़फादर और एपोकैलिप्स नाउ जैसी फिल्मो में देख चुकी है, युनीसेफ के एम्बेसडर बतौर दिल्ली पधारे थे। मशहूर समीक्षक अमिता मालिक ने दोनों का साथ में एक टेलीविज़न इंटरव्यू भी किया था। यहाँ ये बताना जरुरी है की इंटरव्यू की वो बहुमूल्य टेप दूरदर्शन के आरकाईव में अब नहीं है।