मां होने की पहचान छिपाकर फिल्म जगत में कदम नहीं रखना चाहती थी: स्वास्तिका मुखर्जी

बंगाली एक्ट्रेस स्वास्तिका मुखर्जी (Swastika Mukherjee) का कहना है कि वह अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव का सामना करने के बाद आजाद और निर्भीक बन पाई हैं। मुखर्जी को 'साहेब बीवी और गुलाम', 'शाह जहां रिजेंसी', और 'दिल बेचारा (Dil Bechara)' में उनके काम के लिए जाना जाता है।

मुंबई। बंगाली अभिनेत्री स्वास्तिका मुखर्जी का कहना है कि वह अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव का सामना करने के बाद स्वतंत्र और निर्भीक बन पाई हैं। मुखर्जी को ‘साहेब बीवी और गुलाम’, ‘शाह जहां रिजेंसी’, ‘भूत और भविष्य’, ‘पाताल लोक’ तथा ‘दिल बेचारा’ में उनके काम के लिये जाना जाता है।

अभिनेत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार कहा कि उन्होंने अपने करियर को दिशा देने के लिये बिना समझौता किये प्रवृत्ति के बजाय सूझबूझ से काम लिया।

मुखर्जी ने कहा, ‘निर्भीक बनना बहुत थकाऊ काम है। कुछ ऐसे साल भी थे जब मैंने बहुत कम काम किया क्योंकि मैं दूसरी तरह के काम नहीं करना चाहती थी। अगर मैं अपनी पसंद से हटकर काम करना चाहती, तो मुझे रोजाना काम मिलता। ‘

उन्होंने कहा, ‘मैंने बहुत सारी महिला केन्द्रित फिल्में करनी शुरू कीं, जिनमें मैंने तथाकथित ‘हीरो’ के साथ काम नहीं किया और मैं अब भी यही चाहती हूं। एक वक्त ऐसा भी आया जब हीरो ने भी मेरे साथ काम करना पसंद नहीं किया।’

साल 2001 में ‘हेमंतर पाखी’ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली मुखर्जी ने कहा कि उन्हें यह बात छिपाने के लिये कहा गया था कि वह मां हैं ताकि दर्शक उनके प्रति ‘आकर्षित’ हों।

उन्होंने कहा, ‘मैं पहले ही मां बन चुकी थी। फिल्म जगत में कई ऐसे लोग विशेषकर पुरुष हैं, जिन्होंने मुझसे कहा कि लोगों को यह न बताएं कि आप एक बच्चे की मां है क्योंकि अगर लोगों को पता चल जाए कि आप एक मां हैं तो महिलाओं के लिये हीरोइन बनना मुश्किल हो जाता है।’

मुखर्जी ने कहा कि वह इस बात को लेकर बिल्कुल स्पष्ट थीं कि वह अपनी पहचान का इतना महत्वपूर्ण पहलू छिपाकर फिल्म जगत में कदम नहीं रखेंगी।

 

First Published on: December 22, 2020 11:20 AM
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