जब लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने एस पी बालसुब्रमण्यम को मद्रासी आवाज कह कर लगभग खारिज कर दिया था

अभिषेक श्रीवास्तव
मनोरंजन Updated On :

एसपी बालसुब्रमण्यम को गायक बनने का शौक कभी नहीं था। अपने फ़िल्मी करियर में चालीस हजार से ज्यादा गाना गाने वाले एसपी की बचपन में सिर्फ यही इच्छा थी कि बड़े होकर वो एक इंजीनियर बनें और आगे चलकर उन्होंने अपने इस सपने को साकार भी किया। अपने कई इंटरव्यू में उन्होंने इस बात को बार-बार कहा था कि उनको संगीत की ए बी सी डी नहीं आती है। उन्होंने कई बार ये बात भी कही कि वो संगीत की शिक्षा लेने के लिए किसी के पास नहीं गए बल्कि वो सभी के पास संगीत की शिक्षा लेने के लिए गए थे – उन लोगों को सुनकर।

एस पी बालसुब्रमण्यम का कद संगीत की दुनिया में बहुत ऊंचा है लेकिन जब हिंदी फिल्मों में उन्होंने अपनी शुरुआत की थी तब उनकी आवाज को लेकर लोगों में इस बात की शंका थी कि हिंदी फिल्मों के हीरो के ऊपर उनकी आवाज नहीं जचेंगी और उनकी आवाज में दक्षिण का बहुत ज्यादा प्रभाव है। जब फिल्म एक दूजे के लिए से उन्होंने हिंदी फिल्मों में अपनी शुरुआत की तब फिल्म के संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल उनको लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं थे और इसके पीछे वजह यही थी की उन्होंने एस पी के साथ पहले कभी काम नहीं किया था। लेकिन फिल्म के निर्देशक के बालाचंदर ने लक्ष्मी-प्यारे की जोड़ी को यह कह कर मना लिया की एस पी की आवाज ही फिल्म के हीरो के ऊपर सबसे ज्यादा जचेंगी क्योंकि उनकी आवाज फिल्म के हीरो से पूरी तरह से मेल खायेगी क्योंकि फिल्म में हीरो यानी की कमल हसन को दक्षिण का ही दिखाया गया है जिनकी हिंदी भाषा के ऊपर उतनी पकड़ नहीं है।

जब लक्ष्मी-प्यारे से एस पी पहली बार मिले तब उनकी आवाज को टेस्ट करने के लिए लक्ष्मी-प्यारे ने उनसे फिल्म मेरे महबूब में मोहम्मद रफ़ी की आवाज में गाया हुआ गाना मेरे महबूब सुनाने की गुजारिश की। गाना सुनाने के बाद भी जब लक्ष्मी-प्यारे उनकी गाने की प्रतिभा से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हुए तब उन्होंने उनकी पसंद का कोई भी गाना गाने को कहा। इस बार एस पी ने उन्हीं की एक सुपरहिट फिल्म दोस्ती का गाना जानेवालो ज़रा मुड़ के देखो मुझे, गाना सुनाया। इस बार गाना सुनने के बाद लक्ष्मी-प्यारे के मन में जो भी शंका उनको लेकर थी वो सब दूर हो चुकी थी और जब तक वो उनके फन के मुरीद हो चुके थे।

एस पी की शुरुआत हिंदी फिल्मो में तो हो गयी लेकिन कठिनाइयों का दौर उनके लिए अभी शुरू हुआ था। उनका पहला हिंदी गाना एक युगल गाना था और उनके सामने थी लता मंगेशकर। उस गाने में उनको तमिल भाषा की कुछ लाईने भी बोलनी थी। तमिल भाषा की वो लाइन थी नी रूम्बा नल्ला पादरै जिसका मतलब हिंदी में यह है, तुम अच्छा गा लेती हो। एस पी इस बात को लेकर बेहद बैचन हो गये थे की उनको ये शब्द लता मंगेशकर को गाने के दौरान बोलने पड़ेंगे।

एस पी के लिये बेचैनी का आलम इस कदर उनपर हावी हो गया कि गलती से उन्होंने अपनी चाय लता मंगेशकर की साड़ी पर गिरा दी। जब लता मंगेशकर को इस बात की भनक लगी तब उन्होंने अपने तरीके से एस पी का हौसला बढ़ाया। जब एक दूजे के लिये सिनेमाघरों में रिलीज हुई जब कमल हसन के साथ साथ एक और सितारे का जन्म हिंदी फिल्मों में हो चुका था जिसका नाम था एस पी बालसुब्रमण्यम। इसी फिल्म ने आगे चल कर उनको दूसरा नेशनल अवार्ड दिलवाया।