जब लंदन में फिल्म गांधी के स्क्रीन टेस्ट के दौरान नसीरुद्दीन शाह के पैरो तले ज़मीन खिसक गयी


रिचर्ड एटेनबरो की फिल्म गांधी के बारे में नसीरुद्दीन शाह ने अपनी जीवनी एंड देन वन डे में कुछ पन्ने समर्पित किये है। उन्होंने अपनी किताब में नसीरुद्दीन शाह ने इस बात को लिखा है की उनके फ़िल्मी करियर में सिर्फ गांधी का ही रोल ऐसा था जिसके पीछे वो भागे थे लेकिन वो उनको नहीं मिला।


नागरिक न्यूज admin
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रिचर्ड एटेनबरो की फिल्म गांधी के बारे में सुगबुगाहट एक लम्बे अरसे से चल रही थी यहां तक की जब नसीर अपने स्कूल में थे तब भी उन्होंने महात्मा गांधी के ऊपर एक फिल्म बनने की बात सुनी थी। नसीर ने ये भी सुना था की खुद रिचर्ड हिंदुस्तान आकर एक फिल्म फेस्टिवल के दौरान गांधी के ऊपर एक फिल्म बनाने की मंशा जाहिर की थी। इस रोल के लिए सबसे पहले ब्रिटिश फिल्मो के दिग्गज सर एलेक गिनेस को चुना गया था बाद में ये भी खबर आई की सर एन्थनी हॉपकिंस, जॉन हर्ट, डोनाल्ड प्लेसेंस भी रोल के लिए मैदान में थे। जब नसीर की फिल्म आक्रोश सिनेमाघरों रिलीज़ हुई तब उसी समय ये खबर भी निकली की कोई हिंदुस्तानी अभिनेता गांधी के रोल को निभा सकता है। उसी दौरान सर रिचर्ड बम्बई का दौरा करने वाले थे फिल्म की कास्टिंग के लिए।  

नसीरुद्दीन शाह को यही लगा की सर रिचर्ड से मिलकर उनके पास गांधी का रोल हथियाने का अच्छा मौका है। तब तक नसीर ३० साल के हो चुके थे और बुजुर्ग रोल करने अनुभव उनको रंगमच की दुनिया मे मिल चुका था। उनको लगा की इस रोल को वो ब्रिटिश और यूरोपियन एक्टर्स के बदले अच्छी तरह से निभा सकते है। नसीर को ये भी लगा की उनकी कद काठी भी उनको गांधी का रोल दिलाने में सहायक हो सकती है। कुल मिलाकर नसीर ने यही निष्कर्ष निकाला की अगर कोई हिंदुस्तानी अभिनेता गांधी की भूमिका निभा सकता है तो वो सिर्फ नसीर ही है। इसके कुछ दिनों के बाद नसीर को सर रिचर्ड से मिलने का मौका भी मिल गया और बातचीत के दौरान इस बात का भी पता चला की उन्होंने आक्रोश देखी थी। उन्होंने नसीर के काम की भूरी-भूरी प्रशंसा की। ये वो दौर था जब फिल्म जगत के कई कलाकार मुंबई के कोलाबा में स्थित ताज होटल के चक्कर मार रहे थे महज इस बात को लेकर की फिल्म गांधी मे उनको कोई रोल मिल जाये। जल्द ही नसीर को सर रिचर्ड से मिलने का दोबारा मौका मिला और फिर उस मुलाकात में उन्होंने नसीर से पुछ लिया की क्या वो स्क्रीन टेस्ट के लिए लंदन आ सकते है?

नसीर ने उन दिनों अपनी एक आने वाली फिल्म के लिए दाढ़ी बढाई थी जिसे उन्होंने तुरंत कटवा दिया और लंदन के लिए निकल गए। उसी विमान में उनकी मुलाकात स्मिता पाटिल, रोहिणी हटंगड़ी और भक्ति बर्वे से हुई और वो सभी कस्तूरबा गांधी के रोल के स्क्रीन टेस्ट के लिए लंदन जा रहे थे। एयरपोर्ट पर उन सभी को लेने के लिए फिल्म की टीम की ओर से रोल्स रायस गाडी भेजी गई था और बाद में उनको ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्रीट के एक शानदार होटल में ठहराया गया। जब लंदन से उन्होंने पत्नी रत्ना शाह पाठक को फ़ोन किया तब उनको इस बात की जानकारी मिली की अखबारों में ये खबर पहले ही छप चुकी है की गांधी के रोल के लिए नसीर को चुन लिया गया है। ये सुनकर नसीर बेहद खुश हो गये थे। 

अगले दिन उनको शेपर्टन स्टूडियो का रुख करना पड़ा और वहा पहुंचने के बाद उन्होनें जो पहला नजारा देखा उसके बाद उनके पैरो तले ज़मीन खिसक गयी। उन्होंने बेन किंग्सले (जिन्होनें आगे चल कर फिल्म मे गांधी की भूमिका निभाई) को बिना सर के बालो में देखा। नसीर ने तब यही सोचा की बेन तो गांधी से भी ज्यादा गांधी लगते है और उनकी सोच की कोई ब्रिटिश अभिनेता गांधी का रोल नहीं कर सकता पूरी तरह से गलत है। तब तक उनको पता चल गया था की बेन किंग्सले को गांधी के रोल के लिए साइन कर लिया गया है। इसके बाद उनको इस पूरी कवायद की पृष्ठभूमि समझ में आने लगी। उनको लंदन महज इस लिए बुलाया गया था की अगर किसी ब्रिटिश अभिनेता के हत्थे ये रोल चला जाता तो मुमकिन था की उसको लेकर कुछ विरोध के स्वर भी उठते जो शायद गांधी के मेकर्स के लिये बुरी पब्लिसिटी होती। मुंबई आकर स्क्रीन टेस्ट करना और अखबारों में खबर लीक करवाना की एक हिंदुस्तानी गांधी का रोल निभाएगा फिल्म के निर्माता की ओर से महज एक लीपा पोती थी ताकी लोगो को ये लगे की इतने बडे शख्सियत के रोल के लिये हिंदुस्तानी अभिनेताओ को भी मौका दिया जा रहा है।