
दहेज एक ऐसा अभिशाप है, जिससे शायद ही समाज का कोई तबका छूटा हो। कई बार दहेज के कारण गरीब की बेटी की शादी तक टूट जाती है। इस बुराई के खिलाफ यूपी के अलीगढ़ से आवाज उठी है। जी हां, समाज में दहेज प्रथा और शादी में अनावश्यक खर्च को रोकने के लिए अलीगढ़ की कुरैशी बिरादरी ने एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। अल कुरैश फाउंडेशन के बैनर तले शुरू की गई इस पहल का मकसद गरीब और असहाय परिवारों को अपनी बेटियों की शादी बिना आर्थिक बोझ के करने में मदद करना है।
इसके तहत दहेज प्रथा पर पूर्ण रोक, शादी में सोने के जेवरातों की सीमा और खाने की तीन डिश तक सीमित करने जैसे सख्त नियम बनाए गए हैं। यही नियम तोड़ने वालों पर भारी जुर्माना और सामाजिक बहिष्कार की कार्रवाई का भी प्रावधान रखा गया है।
कुरैशी बिरादरी की बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि शादी में फिजूलखर्ची और दहेज की प्रथा पर पूरी तरह रोक लगाई जाएगी। बैठक में मुरादाबाद, उत्तराखंड के काशीपुर, रामनगर और रामपुर जैसे क्षेत्रों से बिरादरी के जिम्मेदार लोग शामिल हुए। संचालन हाजी याकूब कुरैशी ने किया, वहीं हाजी जहीर को अल कुरैश फाउंडेशन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
कुरैशी समाज के लिए गए प्रमुख निर्णय:
दहेज पर पूर्ण रोक: शादी में किसी भी तरह का दहेज देना या लेना पूरी तरह प्रतिबंधित।
सोने के आभूषणों की सीमा: शादी में ढाई ग्राम से ज्यादा सोने के आभूषण देने पर रोक। इससे गरीब परिवारों पर आर्थिक दबाव कम होगा।
खाने की डिश सीमित: शादी में केवल तीन प्रकार के व्यंजन परोसे जाएंगे। इससे फिजूलखर्ची पर लगाम लगेगी
जुर्माना और सामाजिक बहिष्कार: नियम तोड़ने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा, जिसका उपयोग गरीब बेटियों की शादी में किया जाएगा। निकाह को आसान करना मकसद।
इस मौके पर अल कुरैश फाउंडेशन के अध्यक्ष हाजी जहीर ने कहा कि आज दहेज के कारण कई रिश्ते टूट रहे हैं और गरीब परिवार अपनी बेटियों की शादी नहीं कर पा रहे। हमारी बिरादरी ने अब सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि दहेज प्रथा को जड़ से खत्म करना है।
इसके लिए ब्याह-शादी में ढाई ग्राम से ज्यादा सोना और तीन डिश से ज्यादा खाना बनाने पर सख्त कार्रवाई होगी। जुर्माना राशि का उपयोग गरीब बेटियों की शादी के लिए किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कई परिवारों ने नियम तोड़ने पर जुर्माना भरा और भविष्य में नियमों का पालन करने का वादा किया है। इस मुहिम को पूरे समाज का समर्थन मिल रहा है और लोग इसे गरीब परिवारों के लिए एक वरदान मान रहे हैं।