10 को मनाया जाएगा पांचवां विश्व पामिस्ट्री-डे


पामवेद के संस्थापक एवं भारत के मूर्धन्य हस्तरेखा विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मीकान्त त्रिपाठीकहते हैं, हाथ की लकीरें ईश्वर द्वारा बनायी गई जन्मकुंडली हैं जिनमें आपके जीवन के गूढ़ संदेश छिपे हैं। जरूरत है इन्हें पढ़ने की तथा अपने जीवन को सही तरीके से जीने की।


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नई दिल्ली/गाजियाबाद। इस वर्ष कोविड संकट के चलते, पांचवा विश्व पामिस्ट्री-डे, 10 मई 2020 रविवार के दिन ऑनलाइन मनाया जाएगा। इस अवसर पर शाम छह बजे से फ़ेसबुक लाइव के माध्यम से लोगों की समस्याओं का समाधान, सवालों का जवाब, लाभार्थियों के अनुभव तथा देश-विदेश में बसे पामवेद के प्रशंसकों से ऑनलाइन संवाद किया जाएगा। 

इस दौरान दिल्ली सहित भारत के अलग- अलग शहरों से  ज्योतिषप्रेमी फोन के माध्यम से जुड़ेंगे इनमे वे लोग भी होंगे जो पामवेद से परामर्श लेकर आजकल न्यूयार्क, शिकागो, सैनडीयगो, लंदन, दुबई, सिंगापुर, सिडनी तथा मेलबोर्न में स्थापित हो चुके हैं। कार्यक्रम के सूत्रधार, एक समाचार पत्र के प्रधान संपादक मनोज गुप्ता ने बताया कि 30 वर्षों से निरंतर पूर्णकालिक अध्ययन, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान से इस गूढ़ विद्या को जन-जन तक पहुचाने  में पामवेद का बहुत बड़ा हाथ रहा है । 

पामवेद के संस्थापक एवं भारत के मूर्धन्य हस्तरेखा विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मीकान्त त्रिपाठी की सामाजिक दायित्व के प्रति जागरूकता, कर्तव्य निर्वहन की इच्छाशक्ति एवं व्यवहार में सरलता उनकी विशेषता है। उन्होंने हाथ देखने की कला को बहुत रोचक एवं बोधगम्य बना दिया है। दुनिया में हैपीनेस इंडेक्स की जब बात होती है तो प्रसन्नता बढ़ाने में एक कारण प्रश्न पूछना भी होता है प्रश्न पूछने से मनुष्य के मन को शान्ति मिलती है लेकिन पामवेद तो पूरा समाधान ही प्रस्तुत कर देता है। 

डॉ. लक्ष्मीकान्त त्रिपाठी कहते हैं, हाथ की लकीरें ईश्वर द्वारा बनायी गई जन्मकुंडली हैं जिनमें आपके जीवन के गूढ़ संदेश छिपे हैं जरूरत है इन्हें पढ़ने की तथा अपने जीवन को सही तरीके से जीने की। विगत 30 वर्षों में लगभग 1 लाख से अधिक हाथ देखने के बाद ऐसा लगा कि हाथ, मनुष्य को जानने समझने का अदभुत माध्यम है। बिना स्वयं को पूरी तरह से जानें यानी अपनी क्षमताओ एवं सम्भावनाओं का आंकलन किए बिना आप सारी दुनिया को जानने के बावजूद भ्रम एवं भय में जीते हैं। 

वेद हमारे ज्ञान का आधार है और “अयं में हस्तो भगवान।” कहकर हाथों का महत्व समझाया गया है। हाथ की रेखाओं के इस कार्यक्रम में इस बात पर भी ज़ोर दिया जाएगा कि सुखी एवं स्वस्थ जीवन के लिए हाथों को धोकर, साफ़ रखना कितना ज़रूरी है।

वेद हमारे ज्ञान का आधार है और “अयं में हस्तो भगवान।” कहकर हाथों का महत्व समझाया गया है। हाथ की रेखाओं के इस कार्यक्रम में इस बात पर भी ज़ोर दिया जाएगा कि सुखी एवं स्वस्थ जीवन के लिए हाथों को धोकर, साफ़ रखना कितना ज़रूरी है।