
विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत के लोग बहुत जल्दी ही यूज़्ड-टू यानि अभ्यस्त हो जाते हैं, कमोबेश यही हाल यहां की शासन व्यवस्था, प्रशासनिक कार्य का भी है। कोई बड़ी घटना हो जाए तो लोग उद्वेलित होकर सड़क पर उतर जाते हैं। सरकार भी अच्छी तरह जानती है कि ये विरोध ज्यादा बड़ा नहीं बल्कि क्षणिक है। सवाल ये है कि इन परिस्थितियों से लड़ने की बजाय ऐसे तत्वों को सिर्फ उकसाया जाता है।
नए साल आने में महज कुछ और घंटों का समय है लेकिन साल 2020 में हुई घटनाओं ने न सिर्फ लोगों को झकझोर दिया बल्कि उनके जेहन में भी उतर गया। किसी सरकार ने अपने आप नहीं सोचा था कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस प्रकार का सख्त कानून बनाया जाए, बल्कि भारतीय महिलाओं के कड़े संघर्ष के बाद ही यह अधिनियम बना।
निकिता हत्याकांड, हाथरस मामला, बलरामपुर गैंगरेप, बेंगलुरु दंगा, दिल्ली दंगा, जेएनयू पर हमला, पटना-भभुआ इंटरसिटी में गैंगरेप ये कुछ घटनाएं तो अभी बानगी भर हैं और इन घटनाओं ने न सिर्फ कलंकित किया बल्कि शासन-प्रशासन की कार्रवाई से लगायत लोगों की सोच को भी कटघरे में खड़ा किया।
बेंगलुरु दंगा:
11 अगस्त 2020 की रात को, उत्तर-पूर्वी बेंगलुरु, कर्नाटक, भारत में हिंसक दंगे हुए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दलित विधायक अखण्ड श्रीवास मूर्ति के घर पर 200 से अधिक मुस्लिम व्यक्तियों की भीड़ ने आग लगा दी। इसके बाद भीड़ ने डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन पर हमला किया और वहां खड़ी गाड़ियों को आग लगा दी। वे विधायक के एक रिश्तेदार द्वारा पैगंबर मुहम्मद पर एक कथित अपमानजनक फेसबुक टिप्पणी के खिलाफ विरोध कर रहे थे।
इन दंगों में कम से कम तीन से चार लोगों की मौत हो गई और लगभग 90 पुलिस कर्मी घायल हो गए, 200 गाड़िया जला दी गयी। पुलिस बल प्रयोग कर स्थिति को नियंत्रण में लाया गया। बनासवाड़ी पुलिस थाने की सीमा में कर्फ्यू लगाया गया था। अगले दिन 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया।
निकिता हत्याकांड:
फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में बीकॉम छात्रा निकिता तोमर की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। 22 अक्टूबर को अग्रवाल कालेज के गेट पर छात्रा निकिता का पहले अपहरण करने की कोशिश की गई, विफल रहने पर गोली मार कर हत्या कर दी गई। पुलिस ने अपहरण का प्रयास करने व गोली मार कर हत्या करने के आरोप में तौशीफ व उसके साथी रेहान को गिरफ्तार किया था।
बाद में पुलिस ने पिस्तौल मुहैया कराने वाले अजरू को भी गिरफ्तार किया था। आरोपित अब न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। इस हत्याकांड के बाद परिजनों ने पुलिस को बताया था कि 2018 में भी तौशीफ ने निकिता का अपहरण किया था, पर दबाव देकर मामला खत्म करवा दिया गया था।
हाथरस कांड:
इसी साल 14 सितंबर को उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की के साथ कुछ युवकों ने कथित तौर पर गैंगरेप किया था। लड़की के साथ मारपीट भी की गई थी। गंभीर हालत में लड़की को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई।
सफदरजंग अस्पताल में पीड़ित की मौत के बाद पुलिस ने रात में ही पीड़िता का शव गांव ले जाकर परिवार की गैरमौजूदगी में अंतिम संस्कार कर दिया था। उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटना की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इस घटना को लेकर जमकर राजनीति भी हुई थी और राजनीतिक नेताओं में हाथरस पहुंचने की होड़ मच गई थी।
बलरामपुर गैंगरेप:
उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के साथ गैंगरेप के सदमे से लोग उबरे भी नहीं थे कि कुछ दिन बाद ही यूपी बलरामपुर में एक दलित लड़की के साथ गैंगरेप और हत्या की सनसनीखेज खबर सामने आई। पोस्टमॉर्टम के बाद देर रात ही पीड़िता का दाह संस्कार कर दिया गया।
दो लड़कों ने दोस्ती के बहाने एक दलित युवती को बुलाया और इसके साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया। इस जघन्य हरकत को अंजाम देने के बाद दोनों आरोपियों ने लड़की को गंभीर हालत में एक रिक्शे पर बैठाकर घर भेज दिया, जहां उसकी मृत्यु हो गई। इस मामले में पुलिस ने दोनों आरोपियों शहीद और साहिल को गिरफ़्तार कर लिया।
जेएनयू हमला:
साल की शुरुआत में ही पांच जनवरी की देर शाम देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में बड़ी संख्या में बाहर से आए नकाबपोश लोगों ने जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष समेत छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया था। इस दौरान आईशी घोष और दो-तीन शिक्षकों समेत 30 से अधिक छात्र-छात्राएं घायल हो गए थे।
जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) का दावा था कि यह हमला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के लोगों द्वारा किया गया है, इससे पहले 4 जनवरी को भी परिसर में छात्रों के बीच तनातनी की ख़बरें सामने आई थीं।
पटना-भभुआ इंटरसिटी गैंगरेप:
इसी साल जनवरी में बिहार के कैमूर जिले के भभुआ रोड स्टेशन पर खड़ी एक ट्रेन में एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया था। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
भभुआ की रहने वाली एक महिला सोमवार रात पटना-भभुआ इंटरसिटी एक्सप्रेस से भभुआ रोड स्टेशन पहुंची। देर रात होने के कारण महिला ट्रेन की बोगी में बैठी रह गई, जबकि सभी यात्री बोगी से उतर गए। इसी बीच दो युवक बोगी में चढ़ गए और बोगी को बंद कर महिला के साथ उन्होंने दुष्कर्म किया।
दिल्ली दंगा:
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई ये घटना इस साल सबसे ज्यादा सुर्ख़ियों में रही। सुनियोजित तरीके से दिल्ली को जलाने की तैयारी की जा चुकी थी। दिल्ली के उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगे 23 फरवरी 2020 की रात से शुरू होकर, उत्तर पूर्व दिल्ली के जाफराबाद इलाके में रक्तपात, संपत्ति विनाश, दंगों और हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला थीं।
इसमें 53 लोग मारे गए और 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस दंगे को लेकर ये भी बात सामने आई थी कि दिल्ली दंगों व सीएए व एनसीआर के विरोध में हुए प्रदर्शनों में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका है। पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसआई के कहने पर खालिस्तान समर्थक सीएए व एनसीआर के विरोध में हुए धरनास्थलों पर गए थे।