भारत और अमेरिका के संयुक्त रूप से काम करने वाले 8 दलों को कोविड-19 पर अनुंसधान के लिए चुना गया


अनुंसधानकर्ता वायरस रोधी परत, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता, अपशिष्ट जल में कोरोना वायरस की मौजूदगी, बीमारी का पता लगाने के तरीकों तथा अन्य विषयों पर अनुंसधान करेंगे।


मंज़ूर अहमद मंज़ूर अहमद
देश Updated On :

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के अनुसंधानकर्ताओं के संयुक्त रूप से काम करने वाले आठ दलों को कोविड-19 महामारी के प्रबंधन तथा उत्पत्ति के विषय पर उत्कृष्ट अनुसंधान करने के लिए चुना गया है।

मंगलवार को जारी एक आधिकारिक वक्तव्य में यह जानकारी दी गई।

अनुंसधानकर्ता वायरस रोधी परत, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता, अपशिष्ट जल में कोरोना वायरस की मौजूदगी, बीमारी का पता लगाने के तरीकों तथा अन्य विषयों पर अनुंसधान करेंगे।

इस अनुंसधान पुरस्कार की घोषणा भारत-अमेरिका विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंच (आईयूएसएसटीएफ) ने की जो दोनों देशों की सरकारों द्वारा स्थापित द्विपक्षीय स्वायत्त संगठन है।

यह संगठन सरकार, अकादमिक संस्थानों और उद्योग जगत के बीच संपर्क के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और नवोन्मेष को बढ़ावा देता है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और अमेरिका के विदेश मंत्रालय इस मंच के लिए नोडल विभाग का काम करते हैं।

डीएसटी की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि चुने गए आठ दल, अनुंसधान करने वाले कुछ सबसे अच्छे दलों में से हैं जिन्होंने कोविड संबंधी अनुसंधान के आमंत्रण की प्रतिक्रिया में प्रस्ताव भेजा था।

डीएसटी सचिव और आईयूएसएसटीएफ सह अध्यक्ष आशुतोष शर्मा ने कहा कि कोविड-19 पर अनुसंधान के लिए कम समय में अच्छी प्रतिक्रिया मिली जिससे कोरोना वायरस के व्यवहार, प्रसार और उपचार के विषय पर भारत और अमेरिका के बीच सहयोग के कई आयाम खुलते हुए नजर आ रहे हैं।

शर्मा ने कहा, “विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में स्वास्थ्य, ऊर्जा, कृत्रिम बुद्धिमत्तता और अन्य क्षेत्रों में हमारे मजबूत सहयोग से भारत और अमेरिका के बीच परस्पर सहकार्यता के महत्व को बल मिला है।”

आईयूएसएसटीएफ के अमेरिकी सह अध्यक्ष और अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारी जोनाथन मारगोलिस ने कहा कि भारत और अमेरिका इस मंच के जरिये कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए तत्काल संयुक्त रूप से संसाधनों का इस्तेमाल करने की स्थिति में आ गए।