
नासिक। कोरोना महामारी के
कारण देशभर में जारी लॉकडाउन के कारण कई दिल दहला देने वाले हादसे रोज पेश आ रहे
हैं। कहीं भूखे पेट महीनों सफर कर घर पहुंचना तो कहीं पटरियों पर चलते-चलते लगी
झपकी से मौत के मुंह में समा जाना। कोरोना के बाद जारी लॉकडाउन से ऐसा लगता है कि
परेशानियां गरिब मजदूरों का मुकद्दर बन गई हैं।
इस लॉकडाउन में एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना पेश आई है जिसको पढ़कर आप दंग रह जाएंगें। एक
महिला जो नौ माह की गर्भवती थी वह नासिक से एक हजार किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के लिए चल पड़ी। वह घर से 70 किलोमीटर पैदल चलने के बाद लेबर पेन हुआ और रास्ते में ही बच्चो के जन्म दिया और मात्र एक घंटा इंतजार करने के बाद वह महिला
अपने नवजात को लेकर 160 किलोमीटर तक पैदल चली।
खबरों के अनुसार
यह घटना मध्य प्रदेश के शकुंतला की है। वह अपने पति के साथ नासिक में रहती
थी,लेकिन लॉकडाउन के बाद काम बंद हो जाने से परेशान वह अपने पति के साथ
नासिक से सतना के लिए पैदल निकल पड़ी। नासिक से सतना की दूरी करीब 1 हजार किलोमीटर है। वह बिजासन बॉर्डर से 160
किलोमीटर पहले 5 मई को सड़क किनारे ही बच्चे
को जन्म दिया। इस दौरान उसके कुछ साथियों ने मदद की। जन्म के 1
घंटे बाद ही बच्चे को गोद में लकर वह 160 किलोमीटर
पैदल चलकर बिजासन बॉर्डर पर पहुंच गई।
शकुंतला शनिवार को बिजासन बॉर्डर पर पहुंची। उसके गोद में नवजात
बच्चे को देख चेक-पोस्ट की इंचार्ज कविता कनेश उसके पास जांच के लिए पहुंची।
उन्हें लगा कि महिला को मदद की जरूरत है। उसके बाद उससे बात की, तो कहने को कुछ शब्द नहीं थे। महिला 70
किलोमीटर चलने के बाद रास्ते में मुंबई-आगरा हाइवे पर बच्चे को जन्म
दिया था। इसमें 4 महिला साथियों ने मदद की थी।
शकुंतला की बातें
सुनने के बाद पुलिस टीम अवाक रह गई।
महिला ने बताया कि वह बच्चे को जन्म देने तक 70 किलोमीटर पैदल चली थी। जन्म के बाद 1 घंटे सड़क किनारे ही रुकी और पैदल चलने लगी। बच्चे के जन्म के बाद वह
बिजासन बॉर्डर तक पहुंचने के लिए 160 किलोमीटर पैदल चली है।
शकुंतला के पति राकेश कौल ने एक अखबार को
बताया कि यात्रा बेहद कठिन थी, लेकिन रास्ते में हमने दयालुता भी देखी। एक सिख परिवार ने धुले में नवजात
बच्चे के लिए कपड़े और आवश्यक सामान दिए। राकेश कौल ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से
नासिक में उद्योग धंधे बंद हैं, इस वजह से नौकरी चली गई।