कृषि कानून- यूपी गेट पर बुजुर्ग किसान ने फांसी लगाकर दी जान


रामपुर जिले के रहने वाले 70 वर्षीय कश्मीर सिंह पिछले काफी दिनों से आंदोलन में शामिल थे। जहां पर उनका बेटा और पोता भी कई दिनों से किसानों के लिए चल रहे लंगर सेवा में दे रहे थे।


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नई दिल्ली। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर दिल्ली के सभी बॉर्डर पर बैठे किसानों का धरना-प्रदर्शन शनिवार को 38वें दिन में प्रवेश कर गया। सिंघु के साथ टीकरी और दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसान तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। वहीं, दिल्ली से सटे यूपी गेट पर एक बुजुर्ग किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किसान के पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है।

बताया जाता है कि किसान आंदोलन में शामिल एक बुजुर्ग किसान कश्मीर सिंह ने शनिवार सुबह गाजियाबाद नगर निगम के दिव्यांग शौचालय में फांसी लगा ली। सफाई कर्मी शौचालय में सफाई करने पहुंचा तो उसे शव शौचालय में लटका मिला। नगर निगम के सफाई कर्मचारी ने इसकी जानकारी किसान नेताओं को दी।

बुजुर्ग किसान का शव मिलने की जानकारी मिलते ही आंदोलन में आए किसानों के बीच हड़कंप मच गया। इसके बाद किसान नेताओं ने बुजुर्ग किसान की आत्महत्या की सूचना पुलिस को दी गई। रामपुर जिले के रहने वाले 70 वर्षीय कश्मीर सिंह पिछले काफी दिनों से आंदोलन में शामिल थे। जहां पर उनका बेटा और पोता भी कई दिनों से किसानों के लिए चल रहे लंगर सेवा में दे रहे थे।

घटना स्थल पर किसान कश्मीर सिंह का सुसाइड नोट मिला है। आंदोलन को लेकर सरकार की उदासीनता को देखते हुए वह परेशान थे, जिसके कारण उन्होंने यह कदम उठाया। दो पेज के लिखे सुसाइड नोट में उन्होंने बताया है कि यह सरकार सुन नहीं रही है, इसलिए अपनी जान दे रहा हूं ताकि कोई हल निकल सके। इसलिए अंतिम संस्कार आंदोलन स्थल पर करने की इच्छा जताई है।

आपको बता दें कि अब तक किसान नेताओं का केंद्र सरकार के साथ कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन उन वार्ताओं का अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है। हालिया वार्ता 30 दिसंबर को हुई, जिसमें किसान नेताओं व केंद्र सरकार के बीच कुछ सहमति बनी है। अब अगली वार्ता चार जनवरी को होगी।

किसानों ने कहा है कि अगर बातचीत के बाद कोई स्थाई समाधान नहीं निकला तो वे अगले 6 जनवरी को कुंडली और टीकरी बार्डर से ट्रैक्टर यात्रा शुरू करेंगे। दरअसल, छठे दौर की बातचीत में सरकार ने जिस तरह से सकारात्मक रुख दिखाया है, इसके बाद किसान भी शांत हैं और 4 जवरी तक सारे नये आंदोलन टाल रखे हैं।