लखनऊ। कोरोना काल में पीएम के राष्ट्र को सम्बोधन और उनकी बातों का लोगों पर गहरा असर हुआ। लोगों ने जनता कर्फ्यू से लेकर ताली-थाली और घंटी बजाई, मोमबत्ती जलाई लेकिन नए कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर करीब 26 दिन से डटे किसानों की जिद है कि किसी भी कीमत पर सरकार ये कानून वापस ले। ऐसे में प्रदर्शनकारी किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 27 दिसंबर को होने वाली ‘मन की बात’ न सुनकर इसके विरोध में थाली पीटेंगे।
अब तक केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच कृषि कानून को लेकर कई राउंड की वार्ता हो चुकी है लेकिन सभी वार्ता असफल रही। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को चिट्ठी भी लिखी, यहां तक कि पीएम ने ट्वीट कर किसानों से कृषि मंत्री की चिट्ठी ध्यान से पढ़ने का आग्रह किया लेकिन किसान सिर्फ और सिर्फ कृषि कानून को रद्द की मांग पर अड़े हैं।
किसानों ने भी पीएम और कृषि मंत्री को जवाबी खत भेजकर बताया कि उनका आंदोलन कोई राजनीति से प्रेरित नहीं है और न ही किसी राजनीतिक पार्टी को यहां बुलाया गया है। ये किसानों का कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन है। हालांकि ये मामला अब सर्वोच्च अदालत में भी चला गया है। शीर्ष अदालत ने भी सरकार और किसानों के बीच बातचीत कर समस्या हल करने को कहा है।
इन कानूनों के खिलाफ किसानों का यह आंदोलन एक महीने पहुंचने की कगार पर है। दिल्ली के सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, नोएडा से सटे चिल्ला बॉर्डर, कुंडली बॉर्डर पर हजारों किसान डेरा जमाए हुए हैं। उनके आंदोलन को देखकर ऐसा ही लगता है कि वे अब पीछे नहीं हटने वाले बल्कि कई महीनों का राशन लेकर वहां डटे हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ जब से किसानों का ये आंदोलन शुरू हुआ है, तब से अब तक कई किसानों की जान जा चुकी है। सोमवार को कुंडली बॉर्डर पर एक किसान ने जहर खा लिया जिसके बाद उसे रोहतक पीजीआई रेफर किया गया। किसानों ने एक बार फिर आंदोलन को तेज करने का आह्वान करते हुए विरोधस्वरूप सभी टोल फ्री करने का निर्णय लिया है।
किसान आंदोलन का आज 26वां दिन है और किसान एक बार फिर भूख हड़ताल शुरू कर दी है। किसानों ने सरकार को एक बार फिर से टोल प्लाजा फ्री करने की चेतावनी दे दी है। किसानों ने 25 से 27 दिसंबर तक टोल प्लाजा फ्री करने की धमकी दी है। हालांकि सरकार ने किसानों फिर से बात करने का न्योता दिया है और 40 किसान संगठनों को बुलाया है।