
दिल्ली हाईकोर्ट में एक अजीब याचिका पहुंची। कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह (Kunwar Mahender Dhwaj Prasad Singh) नाम के याचिकाकर्ता ने दावा किया कि आगरा से लेकर मेरठ, अलीगढ़, दिल्ली, और गुड़गांव तक के 65 रेवेन्यू स्टेट की सारी जमीन पर उनका हक है और कभी भारत सरकार को दिया ही नहीं।
मेरी जमीन, कभी भारत को दी ही नहीं
याचिकाकर्ता महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने खुद को बेसवा रियासत का वारिस बताया और दावा किया कि आज भी उनके परिवार के पास रियासत का दर्जा है। उनके परिवार के पास जो जमीनें थीं, उन्हें कभी भारत सरकार को ट्रांसफर ही नहीं किया। सिंह ने कोर्ट से सरकार को बेसवा अविभाज्य राज्य के औपचारिक तौर पर भारत में विलय का निर्देश देने को कहा। मांग की कि 1950 से लेकर अब तक इन जमीनों पर प्राप्त सारा राजस्व उसे दे दिया जाए।
यहां चुनाव भी न कराया जाए
यही नहीं, सिंह ने कोर्ट से यह भी मांग की कि जब तक उनकी रियासत का भारत में विलय नहीं हो जाता है, तब तक इन इलाकों में लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और लोकल बॉडी के चुनाव न कराए जाएं।
हाईकोर्ट ने क्या किया?
Bar & Bench के मुताबिक मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने संज्ञान लिया, ”याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ नक्शे और आर्टिकल पेश किए गए हैं, जिससे साबित नहीं होता है कि बेसवा परिवार की कोई मौजूदगी थी या जमीन पर उनका अधिकार है…”
हाई कोर्ट ने कहा, ‘न्यायालय की राय है कि यह याचिका पूरी तरह बेतुकी है। याचिकाकर्ता ने कुछ नक्शे और दस्तावेज पेश किए, जिससे कहीं से साबित नहीं होता है की बेसवा परिवार का अस्तित्व था या प्रॉपर्टी पर उनका अधिकार है। विकिपीडिया से कुछ रिपोर्ट उठाई गईं और कुछ अन्य दस्तावेज पेश किए गए हैं। इससे भी ऐसी कोई बात पुष्ट नहीं होती है।।’
10 हजार का जुर्माना ठोक दिया
HC ने याचिका खारिज करते हुए 10000 रुपए का जुर्माना भी ठोक दिया और इसे सेना की कैजुअल्टी वेलफेयर फंड में चार हफ्ते के भीतर जमा करने का आदेश दिया। आपको बता दें कि याचिकाकर्ता महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह इससे पहले कुतुब मीनार पर अपना दावा जताते हुए दिल्ली की साकेत कोर्ट में ऐसी ही याचिका दायर कर चुके हैं। 20 सितंबर 2022 को यह याचिका खारिज कर दी गई थी।