कृषि कानून पर बैठक में कृषि मंत्री नहीं हुए शामिल तो नाराज किसानों ने बैठक का किया बहिष्कार, दी आंदोलन की धमकी


पंजाब में किसानों के आंदोलन को देखते हुए सरकार ने नए कानून के प्रावधानों पर बातचीत के लिए किसानों के प्रतिनिधिमंडल को नई दिल्ली बुलाया था। किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकार पंजाब में नेताओं को फोन कर किसानों के खिलाफ भड़का रही है।


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नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में बनाए गए विवादित कृषि कानून के मुद्दे पर सरकार और किसानों में तकरार जारी है और किसानों के कड़े रूख को देखते हुए यह मुद्दा जल्दी सुलझता दिखाई नहीं दे रहा है।

खबरों के अनुसार नये कृषि कानून के मुद्दे पर किसानों के आंदोलन के देखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्रालय की तरफ से पंजाब के किसानों के साथ कृषि सचिव की एक बैठक बुलाई थी, लेकिन इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अनुपस्थित रहे। कृषि मंत्री के इस अनुपस्थिति से नाराज किसानों ने मंत्रालय में ही हंगामा करना शुरू कर दिया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

बैठक का बहिष्कार कर मंत्रालय से बाहर निकलने किसानों ने बिल की कॉपी भी फाड़ डाली और किसानों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।

किसानों के खिलाफ नेताओं को भड़का रही सरकार

पंजाब में किसानों के आंदोलन को देखते हुए सरकार ने नए कानून के प्रावधानों पर बातचीत के लिए किसानों के प्रतिनिधिमंडल को नई दिल्ली बुलाया था। किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकार पंजाब में नेताओं को फोन कर किसानों के खिलाफ भड़का रही है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले महीने संसद के दोनों सदनों से भारी विरोध के बीच तीन कृषि बिल पारित करा इसे कानून को शक्ल दे दिया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 27 सितंबर को इन तीनों कृषि विधेयकों को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस कदम से एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। खासतौर से पंजाब और हरियाणा के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

ये विधेयक हैं-

1) किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, 2) किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और 3) आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020।

किसानों का आरोप है कि सरकार नए कानून की आड़ में उनसे न्यूनतम समर्थम मूल्य (Minimum Support Price) बंद करना चाहती है और केंद्रीय खरीद एजेंसियों द्वारा होने वाली फसल खरीद को भी बंद करना चाहती है। किसानों का आरोप है कि अगर ऐसा हुआ तो किसान कॉरपोरेट के हाथों की कठपुतली बन जाएंगे और साथ अपने ही खेतों में बंधुआ मजदूर बन जाएंगे।



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