धारा-370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के सच को कैमरे में कैद करने वाले तीन फोटो जर्नलिस्टों को मिला पुलित्ज़र पुरस्कार


धारा 370 हटने के बाद, कश्मीर में कभी ख़त्म नहीं होने वाला लॉकडाउन, कर्फ़्यू, और फ़ोन तथा इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का सिलसिला शुरू हो गया था। इसके बाद एसोसिएटेड प्रेस के तीन फ़ोटोग्राफ़र यासीन डार, मुख़्तार ख़ान और चन्नी आनंद ने कश्मीर की दिन-प्रतिदिन की घटनाओं और पुलिसिया अत्याचारों को अपने कैमरों में क़ैद करना शुरू किया। इस फ़ीचर फ़ोटोग्राफ़ी को ही2020 पुलित्ज़र पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।



नई दिल्ली। पिछले साल अगस्त में नरेन्द्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 हटाकर को समाप्त कर दिया। तब कश्मरियों ने इसे अपने अधिकारों पर अभूतपूर्व हमला बतायाथा। धारा 370 हटने के बाद, कश्मीर में कभी ख़त्म नहीं होने वाला लॉकडाउन, कर्फ़्यू, और फ़ोन तथा इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का सिलसिला शुरू हो गया था। इसके बाद एसोसिएटेड प्रेस के तीन फ़ोटोग्राफ़र यासीन डार, मुख़्तार ख़ान और चन्नी आनंद ने कश्मीर की दिन-प्रतिदिन की घटनाओं और पुलिसिया अत्याचारों को अपने कैमरों में क़ैद करना शुरू किया।  

अब उनके काम को फ़ीचर फ़ोटोग्राफ़ी में 2020 पुलित्ज़र पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।कोरोना वायरस महामारी के चलते पुरस्कार विजेताओं के नामों का एलान सोमवार को वर्चुअली किया गया। पुलित्ज़र पुरस्कार की शुरुआत 1917 में की गई थी, जिसे पत्रकारिता, साहित्य और रचना के क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को प्रदान किया जाता है। इसकी स्थापना हंगरी के जोसेफ़ पुलित्ज़र ने की थी।

यासीन डार

1973 में कश्मीर में पैदा हुए यासीन कम्प्युटर-सांइस में स्नातक हैं। यासीन ने इससे पूर्व अफगानिस्तान में अफगान –युद्ध, युद्ध से पीड़ित अफगानियों और अफगान शरणार्थियों के अतिरिक्त मयंमार के रोहिंग्या मुस्लिमों पर हुई हिंसा और शरणार्थी संकट पर भी महत्वपूर्ण काम किया है। अनेक अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों के अतिरिक्त उन्हें भारत के सबसे प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पुरस्कार से दो बार सम्मानित किया जा चुका है।

मुख्तार खान

मुख्तार खान पिछले लगभग दो दशक से कश्मीर में फोटो पत्रकारिता कर रहे हैं। 2005 में उनके द्वारा, कश्मीर में आये भीषण भूकम्प की खींची गई तस्वीरें काफी चर्चित हुई थीं।

चन्नी आनंद

चन्नी भी लगभग दो दशक से जम्मू में फोटो-पत्रकारिता कर रहे हैं। उनकी पत्रकारिता मुख्य तौर पर सामाजिक मुद्दों, प्राकृतिक आपदाओं, सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ों पर केन्द्रित रही है।



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