हो सकता है कि एचआईवी, डेंगू की तरह कोरोना का भी ना बन पाए वैक्सीन: एक्सपर्ट


स्वास्थ्य क्षेत्र के एक बड़े विशेषज्ञ का दावा चिंतित करने वाला है। उन्होंने कहा है कि जिस तरह एचआईवी और डेंगू सहित कुछ अन्य बीमारियों से बचाने के लिए कोई टीका नहीं बन पाया है उसी तरह हो सकता है कि कोरोना को रोकने वाला वैक्सीन भी ना बन पाए।


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नई दिल्ली। दुनिया में हर दिन हजारों लोगों की जान ले रहे कोरोना वायरस से बचाने के लिए दुनिया को वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है, लेकिन इस बीच स्वास्थ्य क्षेत्र के एक बड़े विशेषज्ञ का दावा चिंतित करने वाला है। उन्होंने कहा है कि जिस तरह एचआईवी और डेंगू सहित कुछ अन्य बीमारियों से बचाने के लिए कोई टीका नहीं बन पाया है उसी तरह हो सकता है कि कोरोना को रोकने वाला वैक्सीन भी ना बन पाए।  

कोविड 19 को लेकर दुनिया में 100 से अधिक वैक्सीन इस समय प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स स्टेज पर हैं। इंग्लैंड और अमेरिका में एक-एक वैक्सीन का मानव परीक्षण भी चल रहा है। मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक, इंपीरियल कॉलजे लंदन में हेल्थ के प्रफेसर डेविड नाबारो ने कहा, कुछ ऐसे वायरस हैं, जिनके खिलाफ अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बन पाया है।
कोविड-19 पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेष दूत के रूप में भी सेवा देने वाले नाबारो ने आगे कहा, हम दावे के साथ नहीं कह सकते हैं कि एक वैक्सीन आ ही जाएगा और यदि आता भी है प्रभाव और सुरक्षा के सभी टेस्ट पास कर लेगा या नहीं।” उन्होंने कहा कि जब तक वैक्सीन नहीं बन जाता है हमें खुद को बचाव के लिए तैयार करना एक विकल्प हो सकता है। 

नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी ऐंड इन्फेक्शियस डिजीज के डायरेक्टर एंथनी फौसी उन एक्सपर्ट में हैं जो मानते हैं कि वैक्सी एक साल से 18 महीनों के बीच आ जाएगा, जबकि दूसरों ने कहा है कि इसमें इससे अधिक समय लग सकता है। अधिकतर एक्सपर्ट को विश्वास है कि कोविड-19 वैक्सीन विकसित कर लिया जाएगा क्योंकि एचआईवी और मलेरिया की तरह कोरोना वायरस में बहुत तेजी से म्यूटेशन नहीं होता है।
नाबारों ने हालांकि रेखांकित किया कि वैक्सीन डिवेलपमेंट की प्रक्रिया सुस्त और कष्टदायक है। उन्होंने कहा, ”आपकी उम्मीदें बहुत अधिक हैं और फिर यह टूट जाती हैं। हम एक बायोलॉजिकल सिस्टिम से जूझ रहे हैं। हम किसी मैकेनिकल सिस्टम से नहीं डील कर रहे हैं। यह वास्तव में इस बात पर निर्भर करता है कि शरीर किस तरह प्रतक्रिया देती है।
अमेरिका के ह्यूस्टन में बायलोर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में नैशनल स्कूल ऑफ ट्रोपिकल मेडिसिन के डीन डॉक्टर पीटर होत्ज ने कहा, हमने एक साल या 18 महीने में कभी कोई वैक्सीन नहीं बनाया है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह असंभव है, लेकिन यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
हमें प्लान ए और प्लान बी की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कुल 102 वैक्सीन रेस में हैं। इनमें से 8 मानवीय परीक्षण स्टेज में पहुंच गए हैं। कोविड-19 के मरीजों के लिए कई तरह के इलाज पर प्रयोग चल रहा है। वैज्ञानिक एंटी इबोला ड्रग रेमडेसिवीर और प्लाज्मा थेरेपी भी आजमा रहे हैं। एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन का भी प्रयोग किया जा रहा है।