या कुन्देन्दु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रा वृता।
या वीणा वरदण्ड मण्डित करा या श्वेत पद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकर प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्या पहा॥
अर्थात… जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें…
मां सरस्वती को विद्या की देवी का दर्जा दिया जाता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती प्रकट हुईं थीं इसलिए आज के दिन माँ सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है।
ब्राह्मण-ग्रंथों के अनुसार वाग्देवी सरस्वती ब्रह्मस्वरूपा, कामधेनु तथा समस्त देवों की प्रतिनिधि हैं। ये ही विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी हैं। अमित तेजस्विनी व अनंत गुणशालिनी देवी सरस्वती की पूजा-आराधना के लिए माघ मास की पंचमी तिथि निर्धारित की गयी है। बसंत पंचमी को इनका आविर्भाव दिवस माना जाता है। अतः वागीश्वरी जयंती व श्रीपंचमी नाम से भी यह तिथि प्रसिद्ध है।माँ सरस्वती विद्या व ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं। कहते हैं जिनकी जिव्हा पर सरस्वती देवी का वास होता है, वे अत्यंत ही विद्वान् व कुशाग्र बुद्धि होते हैं।
कुछ लोग बसंत पंचमी को श्री पंचमी भी कहते हैं। इस दिन लोग खासकर छात्र-छात्रा विद्या की देवी सरस्वती की आराधना करते हैं। बच्चों की शिक्षा प्रारंभ करने या किसी नई कला की शुरुआत के लिए इस दिन को काफी शुभ माना जाता है। श्रद्धालु इस दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करते हैं और विद्या की देवी का पूजन करते हैं।
बसंत पंचमी के पर्व से ही ‘बसंत ऋतु’ का आगमन होता है। बसंत को ऋतु राज कहा गया है। वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। श्रीमद् भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण में कहा कि ‘ऋतु नाम कुसुमाकरः’ अर्थात् ऋतुओं में बसंत हूं मैं। बसंत उत्सव हमारे जीवन में आशावाद का प्रतीक है और मां सरस्वती का अर्चन स्तवन हमारे जीवन से निराशा, निष्क्रियता, को विर्सजित कर ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ का पथिक बना देता है व सौभाग्य जो जगा देता है। जागतिक सौन्दर्य एवं यौवन के आकर्षण आनन्द का पर्व है बसंत। सम्पूर्ण परिवर्तन या जीवन की दशा और दिशा में पूर्ण सुधार का आनन्दमय महोत्सव है बसंत।
सरस्वती पूजा के पावन अवसर पर राष्ट्रपति ने पूरे देश को बधाई दी, कहा- “बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा के शुभ अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। मेरी कामना है कि बसंत का आगमन सभी देशवासियों के जीवन में सुख-समृद्धि का संचार करे।”
वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा के शुभ अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
मेरी कामना है कि बसंत का आगमन सभी देशवासियों के जीवन में सुख-समृद्धि का संचार करे।
— President of India (@rashtrapatibhvn) February 16, 2021
वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मंगलवार को बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।’’
बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
— Narendra Modi (@narendramodi) February 16, 2021
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने बसंत पंचमी पर अपने परिवार से जुड़ी एक रोचक कहानी सुनाई। उन्होंने ट्वीट कर बताया, ”बसंत पंचमी के अवसर पर मेरी दादी इंदिरा जी स्कूल जाने से पहले हम दोनों की जेब में पीला रूमाल डाल देती थीं। आज भी उनकी परम्परा निभाते हुए मेरी माँ सरसों के फूल मंगाकर घर में बसंत पंचमी के दिन सजाती हैं। ज्ञान की देवी माँ सरस्वती सबका कल्याण करें। आप सबको बसंत पंचमी की शुभकामनाएं।”
बसंत पंचमी के अवसर पर मेरी दादी इंदिरा जी स्कूल जाने से पहले हम दोनों की जेब में पीला रूमाल डाल देती थीं। आज भी उनकी परम्परा निभाते हुए मेरी माँ सरसों के फूल मंगाकर घर में बसंत पंचमी के दिन सजाती हैं।
ज्ञान की देवी माँ सरस्वती सबका कल्याण करें। आप सबको बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) February 16, 2021