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नई दिल्ली। केंद्र सरकार 3 दिसंबर 1984 के भोपाल में हुए यूनियन कार्बाइड कंपनी के गैस हादसे की वजह से हुई मौतों और बीमारियों के सही आंकड़े पेश करे, जिसकी सुनवाई 10 जनवरी को है। अपनी इसी मांग को लेकर सैकड़ों गैस कांड पीड़ित गैसकाण्ड की 38 वीं बरसी पर दिल्ली पहुंच रहे हैं। दिल्ली पहुंचने पर भोपाल गैस हादसे के पीड़ित और इस हादसे की लड़ाई लड़ रहे कुछ एनजीओ दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन भी करेंगे।
आपको बता दें कि 3 दिसम्बर 1984 को भोपाल में यूनियन कार्बाइड में गैस हादसा हुआ था। गैस हादसे में बहुत बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। बहुत सारे लोग घायल हुए थे, और बहुत सारे लोग इससे प्रभावित हुए थे। मौतों के सही आंकड़े और मुआवजे की सही धनराशि को लेकर गैस कांड पीड़ित और कुछ समाजसेवी संगठनों ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर कर रखी है। सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में दो बार सुनवाई कर चुका है अगली सुनवाई 10 जनवरी को होने वाली है।
भोपाल गैस कांड पीड़ितों का मानना है कि गैस काण्ड की वजह से हुई मौतें और इन्सानी सेहत को पहुंचे नुकसान के सही आंकड़ों को सरकारों के द्वारा जानबूझ के कम करके पेश करने की वजह से भोपाल गैस पीड़ितों को उनके उचित मुआवजे के हक से वंचित कर दिया जाएगा।
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा रशीदा बी ने कहा हम और हमारा संगठन भी इस मामले में राज्य और केंद्र सरकारों के साथ याचिकाकर्ता है। हम अतिरिक्त मुआवजे के रूप में 646 अरब रूपए मांग रहे हैं, जबकि सरकारें मात्र 96 अरब रूपए मांग रही हैं। अब व़क्त आ गया है कि अपने कानूनी अधिकारों पर हो रहे इस हमले के खिलाफ भोपाल के गैस पीड़ित फिर से सक्रिय हो जाएं।
भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन की रचना ढिंगरा ने कहा, सरकार मौतों के वास्तविक आंकड़ों को पेश नहीं कर रही है और गैस की वजह से 93 प्रतिशत पीड़ितों के सेहत को पहुंचे नुकसान को अस्थाई बता रही है।
अंत में रचना ढींगरा ने कहा कि भोपाल गैस कांड के पीड़ितों को उचित मुआवजा उचित न्याय मिले इसके लिए वह और गैस कांड पीड़ित दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगे।