हर साल 22 मार्च के दिन को बिहार दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1912 में अंग्रेजों द्वारा बंगाल प्रेसीडेंसी से राज्य को अलग करने के बाद से ये दिवस मनाया जाता है। हर साल बिहार सरकार आज के दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित करती है, जो राज्य और केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाली सभी कंपनियों, कार्यालयों और स्कूलों पर लागू होता है।
बिहार के 109वें स्थापना दिवस पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। साथ ही बिहार के विकास की कामना की है। बिहार दिवस के अवसर पर उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, ” बिहार दिवस की राज्य के सभी निवासियों को ढेरों शुभकामनाएं। गौरवशाली अतीत और समृद्ध संस्कृति के लिए विशेष पहचान रखने वाला यह प्रदेश विकास के नित नए आयाम गढ़ता रहे।”
बिहार दिवस की राज्य के सभी निवासियों को ढेरों शुभकामनाएं। गौरवशाली अतीत और समृद्ध संस्कृति के लिए विशेष पहचान रखने वाला यह प्रदेश विकास के नित नए आयाम गढ़ता रहे।
— Narendra Modi (@narendramodi) March 22, 2021
सीएम नीतीश ने ट्वीट कर राज्यवासियों को बिहार शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, ” बिहार दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। बिहार का इतिहास गौरवशाली है और हम वर्तमान में अपने निश्चय से बिहार का गौरवशाली भविष्य तैयार कर रहे हैं। विकसित बिहार के सपने में भागीदारी के लिए मैं आप सभी का स्वागत करता हूं। जय हिंद-जय बिहार”
“बिहार दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं”
बिहार का इतिहास गौरवशाली है और हम वर्तमान में अपने निश्चय से बिहार का गौरवशाली भविष्य तैयार कर रहे हैं। विकसित बिहार के सपने में भागीदारी के लिए मैं आप सभी का स्वागत करता हूं।
जय हिंद-जय बिहार #जुग_जुग_जिये_बिहार
— Nitish Kumar (@NitishKumar) March 21, 2021
बता दें कि कोरोना की वजह से इस बार भी बिहार दिवस पर किसी प्रकार के समारोह का आयोजन नहीं किया गया है। सरकारी स्कूलों में भी किसी भी तरह के कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाया गया है। ऐसे में सीएम नीतीश ने राजधानी पटना के गांधी मैदान स्थित के ज्ञान भवन के बाबू सभागार से बिहारवासियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। इस दौरान राज्यपाल फागू चौहान भी उनके साथ थे।
क्यों मनाया जाता है बिहार दिवस?
बंगाल के मुगलों और नवाबोंदरअसल 22 अक्टूबर, 1764 को बक्सर का युद्ध (Battle of Buxar) हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और बंगाल के नवाब, अवध के नवाब, और मुगल राजा शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना के बीच में लड़ा गया था। लड़ाई बक्सर में लड़ी गई थी और ईस्ट इंडिया कंपनी को इसमें बड़ी जीत हासिल हुई।
की हार के कारण बंगाल के मुगलों और नवाबों ने प्रदेशों पर नियंत्रण खो दिया और दीवानी के अनुसार ईस्ट इंडिया कंपनी को राजस्व के संग्रह और प्रबंधन का अधिकार मिल गया। उस समय बंगाल प्रेसीडेंसी में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और बांग्लादेश का वर्तमान इलाका शामिल था।
1911 में, किंग जॉर्ज पंचम का दिल्ली में राज्याभिषेक किया गया और ब्रिटिश भारत की राजधानी दिल्ली को बना दिया गया। 21 मार्च, 1912 को, थॉमस गिब्सन कारमाइकल ने बंगाल के नए गवर्नर का पद संभाला और घोषणा की कि अगले दिन, 22 मार्च से बंगाल प्रेसीडेंसी को बंगाल, उड़ीसा, बिहार और असम के चार सुभाषों में विभाजित किया जाएगा। इसलिए ही 22 मार्च को बिहार दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।