नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) का आंदोलन लगातार जारी है। गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद हालांकि कुछ किसान संगठनों ने इस आंदोलन से खुद को जरूर अलग कर लिया लेकिन कानूनों के खिलाफ अकेले मैदान में डटे किसान नेता राकेश टिकैत को किसानों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। प्रख्यात उपन्यासकार और निबंधकार अरुंधति रॉय शनिवार को दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में सामने आईं और कहा कि कृषक जिन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, वह केवल कॉरपोरेट क्षेत्र की मदद करेंगे।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाने माने गुर्जर नेता मदन भैया ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी प्रदर्शन में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) को अपने समुदाय का समर्थन दिया है। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि सरकार के साथ बातचीत के रास्ते बंद नहीं हुए हैं। मदन भैया ने किसी का नाम लिए बिना लोनी से भाजपा के विधायक नंद किशोर गुर्जर पर शनिवार को निशाना साधते हुए कहा कि वह ‘‘किसान विरोधी कार्यों’’ में संलिप्त हैं।
किसानों ने नंद किशोर पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 26 जनवरी को गाजीपुर प्रदर्शन स्थल पर हुई हिंसा का षड्यंत्र रचा। नंद किशोर ने इन आरोपों को खारिज किया है। मदन भैया ने कहा कि किसान अपनी मांग को लेकर ठंड के बावजूद दिल्ली की सीमाओं पर दो महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं और उनका आंदोलन गैर राजनीतिक एवं शांतिपूर्ण है।
आंदोलन में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए बीकेयू नेता राकेश टिकैत और उनके समर्थकों की प्रशंसा की। मदन भैया ने गाजीपुर समेत दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी सभी प्रदर्शनों को गुर्जर समुदाय की ओर से समर्थन की बात की। 26 जनवरी को हुई हिंसा का जिक्र करते हुए कहा, एक राष्ट्र विरोधी तत्व के हंगामे ने पूरे देश को शर्मसार किया और इसके कारण प्रदर्शनकारी किसान निर्दोष होने के बावजूद हतोत्साहित हुए।
मदन भैया ने नंद किशोर पर निशाना साधते हुए एक बयान में कहा, अपने नाम के पीछे गुर्जर उपनाम लगाने वाले एक व्यक्ति ने हाल में किसान विरोधी गतिविधियां करके पूरे समुदाय को शर्मसार किया। उन्होंने कहा, गुर्जर को एक किसान समुदाय समझा जाता है और इसके मद्देनजर, यदि समुदाय का कोई सदस्य इन प्रदर्शनों में हंगामा करने के मकसद से जाता है, तो इससे पूरे गुर्जर समुदाय की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचेगी।
सरकार के साथ बातचीत का रास्ता बंद करने का कोई सवाल नहीं
केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि सरकार के साथ बातचीत का रास्ता बंद करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिन हुई सर्वदलीय बैठक में कहा था कि किसान यूनियनों के साथ बातचीत के दौरान सरकार द्वारा की गई पेशकश अभी भी बरकरार है और उससे बस सम्पर्क करके बातचीत की जा सकती है।
इस बयान के बाद ही शाम को संयुक्त किसान मोर्चा ने बातचीत का रास्ता बंद नहीं करने की बात कही है। आंदोलन में शामिल किसान नेताओं ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर ‘सद्भावना दिवस’ मनाया और दिल्ली की सीमाओं पर विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर पूरे दिन का उपवास रखा। मोर्चा के नेता दर्शन पाल के अनुसार, किसान अपनी निर्वाचित सरकार से बातचीत करने के लिए दिल्ली के दरवाजे तक चल कर आए हैं, इसलिए किसान संगठनों द्वारा सरकार से बातचीत का दरवाजा बंद किए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
मोर्चा ने किसान आंदोलन को ‘‘कमजोर और बर्बाद करने’’ के पुलिस के कथित प्रयासों की भी आलोचना की। पाल ने एक बयान में कहा, यह स्पष्ट है कि पुलिस शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हमलों को बढ़ावा दे रही है। पुलिस और भाजपा के गुंड़ों द्वारा लगातार की जा हिंसा सरकार के भीतर के डर को दिखाती है।
नए कृषि कानून कृषि क्षेत्र को बर्बाद कर देंगे : अरुंधति
प्रख्यात उपन्यासकार और निबंधकार अरुंधति रॉय शनिवार को दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में सामने आईं और कहा कि कृषक जिन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, वह केवल कॉरपोरेट क्षेत्र की मदद करेंगे। यलगार परिषद के एक सम्मेलन में रॉय ने धर्मांतरण विरोधी कानून और लॉकडाउन जैसे मुद्दों पर केंद्र और राज्यों की भाजपा सरकारों की आलोचना की।
मैन बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका ने कहा, हमारे लिए किसानों के साथ खड़ा होना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, नए कृषि कानून कृषि क्षेत्र की रीढ़ तोड़ देंगे और इस पर कॉरपोरेट का नियंत्रण हो जाएगा। आरोप लगाया कि केंद्र सरकार आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
सरकार अपनी बताए मजबूरी, हम उसका सिर नहीं झुकने देंगे: टिकैत
भाकियू के नेता राकेश टिकैत ने केन्द्र सरकार से कहा कि वह खुद किसानों को बताए कि वह कृषि कानूनों को वापस क्यों नहीं लेना चाहती और हम वादा करते हैं कि सरकार का सिर दुनिया के सामने झुकने नहीं देंगे। ट्रैक्टर परेड में हिंसा के कारण किसान आंदोलन के कमजोर पड़ने के बाद एक बार फिर जोर पकड़ने के बीच टिकैत ने सरकार से कहा, सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह नये कृषि कानूनों को निरस्त नहीं करने पर अड़ी हुई है?
उन्होंने कहा, सरकार किसानों को अपनी बात बता सकती है। हम ऐसे लोग हैं जो पंचायती राज में विश्वास करते हैं। हम कभी भी दुनिया के सामने सरकार का सिर शर्म से नहीं झुकने देंगे। टिकैत ने कहा, सरकार के साथ हमारी विचारधारा की लड़ाई है और यह लड़ाई लाठी/डंडों, बंदूक से नहीं लड़ी जा सकती और ना ही उसके द्वारा इसे दबाया जा सकता है। किसान तभी घर लौटेंगे जब नये कानून वापस ले लिए जाएंगे।