कैट न्यायाधीश ने आईएफएस संजीव चतुर्वेदी के मामले से खुद को अलग किया


वर्ष 2002 के भारतीय वन सेवा में उत्तराखंड काडर के अधिकारी चतुर्वेदी ने अपनी याचिका में अगस्त 2017 में जारी संसदीय समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया है जिसमें 360 डिग्री मूल्यांकन प्राणाली में खामी होने की बात कही गई है। इस मूल्यांकन प्रणाली में विभिन्न स्रोतों से लोकसेवक के बारे में जानकारी ली जाती है।


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नई दिल्ली। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के न्यायाधीश ने व्हिसिल ब्लोअर एवं आईएफएस अधिकारी संजीव चुतर्वेदी के मामले से खुद को अलग कर लिया है जिसमें उन्होंने 360 डिग्री मूल्यांकन प्रणाली एवं पार्श्व आधार पर भर्ती के फैसले को चुनौती दी है।

न्यायाधीश के सुनवाई से अलग होने का फैसला उस समय आया जब अधिकारी के वकील ने रेखांकित किया कि कैट प्रमुख एल नरसिम्हा रेड्डी के नेतृत्व में गठित दो न्यायाधीशों की पीठ में एक न्यायाधीश कई मौकों पर आवेदक के खिलाफ पेश हो चुके हैं। वकील ने अपने दावे के समर्थन में अधिकरण के आदेश का भी हवाला दिया।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम में से एक सदस्य (आरएन सिंह, सदस्य (न्याय)) को याद है कि वह किसी भी पक्षकार के वकील नहीं थे जैसा कि उपरोक्त दावा किया गया है। हालांकि, आदेश के संदर्भ में मालूम हुआ कि उनका एक रिश्तेदार जो उनके चेम्बर से वकालत करता था इस मामले में कुछ प्रतिवादियों का पक्ष रखा सकता है और उनके लिए पेश हुआ होगा।’’

सिंह और एके बिश्नोई द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि इस मामले की सुनवाई के लिए कैट अध्यक्ष द्वारा मौजूदा पीठ गठित करते समय संभवत: यह तथ्य सामने नहीं आए।

पीठ ने कहा, ‘‘इससे भी बड़ी बात है कि पीठ के खास मामले की सुनवाई करने को लेकर कोई हित नहीं है।’ इस आदेश को हाल में कैट की वेबसाइट पर साझा किया गया। उल्लेखनीय है कि यह आदेश 17 फरवरी को सुरक्षित रख लिया गया था और 11 मार्च को फैसला सुनाया गया।

अधिकरण की प्रधान पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘‘ आवेदक की ओर से किए गए अनुरोध के गुण पर जाए बिना हम में से एक सदस्य (आरएन सिंह सदस्य न्याय) इस मामले से तत्काल खुद को अलग कर रहे हैं।’’.

वर्ष 2002 के भारतीय वन सेवा में उत्तराखंड काडर के अधिकारी चतुर्वेदी ने अपनी याचिका में अगस्त 2017 में जारी संसदीय समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया है जिसमें 360 डिग्री मूल्यांकन प्राणाली में खामी होने की बात कही गई है। इस मूल्यांकन प्रणाली में विभिन्न स्रोतों से लोकसेवक के बारे में जानकारी ली जाती है।

वहीं पर्श्व आधार पर सेवा में प्रवेश को चुनौती देते हुए अधिकारी ने सूचना के अधिकार से उन्हें प्राप्त जानकारी का हावाला दिया है जिसमें केंद्र ने कहा कि ‘‘ संविदा प्रणाली पूरी तरह से मनमानी एवं अतार्किक है।’’