कोरोना कहर के बाद अब कैट क्यू वायरस का दस्तक

नई दिल्ली। पूरा विश्व जहां अभी कोरोना के कहर से उबर भी नहीं पाया है वहीं चीन और ताइवान में तेजी से फैल रहे एक और वायरस ने पूरे विश्व की चिंताएं बढ़ा दी है। इस वायरस का नाम है कैट क्यू वायरस (Cat Que Virus )। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भारत सरकार को चेतावनी दी है कि चीन का यह कैट क्यू वायरस भारत में भी दस्तक दे सकता है। आईसीएमआर (ICMR) की इस चेतावनी ने कोरोना संकट के बीच सरकार के लिए एक और चुनौती बढ़ा दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये वायरस देश में बीमारी फैलाने की क्षमता रखता है।

क्या है कैट क्यू वायरस-
यह वायरस आर्थोपोड-जनित विषाणु की श्रेणी में आता है। कैट क्यू वायरस चीन में बड़े पैमाने पर क्यूलेक्स मच्छरों और वियतनाम में सुअरों में पाए गए जाते हैं। घरेलू सुअरों को इस वायरस के फैलने के लिए मुख्य तौर पर जिम्मेदार माना जाता है। चीन में सुअरों के भीतर बड़े पैमाने पर इसके खिलाफ ऐंटीबॉडीज मिल चुके हैं। यह इस बात का संकेत है कि स्थानीय स्तर पर वहां वायरस फैल रहा है और उसमें मच्छरों के जरिए सुअरों और दूसरे जानवरों में फैलने की क्षमता है। खबरों के मुताबिक, चीन और वियतनाम में बड़े पैमाने पर लोग इस CQV वायरस से ग्रसित पाए जा रहे हैं।

वैज्ञानिकों को मिले CQV के प्रमाण
ICMR के पुणे स्थित नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी के सात शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि चीन और वियतनाम में कैट क्यू वायरस की मौजूदगी का पता चला है। खास बात यह है कि भारत में भी क्यूलेक्स मच्छरों में कैट क्यू वायरस जैसा ही कुछ मिला है। चीन के पालतू ‘सूअरों’ में इस वायरस के खिलाफ पनपी ऐंटीबॉडीज पाई गई है। ऐसे में कैट क्यू वायरस ने चीन में स्थानीय स्तर पर अपना प्रकोप फैलाना शुरू कर दिया है।

वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस नए वायरस का पहला होस्ट सुअर है। सुवर के खून के माध्यम से ये मच्छरों तक और फिर इंसानों तक फैलता है। खतरे की बात ये है कि भारत में जो मच्छर पाए जाते हैं, वे इस वायरस को कैरी कर सकते हैं। मूलतः यह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलता है।

आखिर कितना खतरनाक है यह CQV वायरस –

जानवरों से इंसानों में फैलने वाला यह कैट क्यू वायरस का इस स्टेज पर अभी पता लगाना संभव नहीं हो पाया है की यह भविष्य में कितना खतरनाक साबित होगा। हालांकि, इस समूह के दूसरे वायरस भी मच्छरों के जरिए फैलते हैं और वे मेनिन्जाइटिस, पेडियाट्रिक इंसेफलाइटिस और जेम्सटाउन कैन्योन इंसेफलाइटिस जैसी बीमारियों की वजह बनते हैं।

First Published on: September 30, 2020 1:03 PM
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