…. ताकि फुटपाथ पर न मरे बचपन, राज्य सभा में उठी प्राधिकरण बनाने की मांग


गंदगी में, खतरनाक परिस्थितियों में ये बच्चे रहते हैं, जीवन यापन के लिए कचरा बीनने से लेकर अन्य छोटे-मोटे काम करते हैं और इनका अक्सर कई तरह से शोषण भी किया जाता है।


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प्रतीकात्मक तस्वीर


नई दिल्ली। बीजू जनता दल के प्रसन्न आचार्य ने बुधवार को राज्यसभा में फुटपाथ में रह कर गुजर करने वाले बच्चों के कल्याण के लिए एक प्राधिकारण बनाने की मांग की। शून्यकाल के दौरान बीजद के प्रसन्न आचार्य ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि फुटपाथ पर रहने वाले ज्यादातर बच्चे या तो अनाथ होते हैं या परिवार से त्यागे हुए होते हैं।

उन्होंने कहा कि गंदगी में, खतरनाक परिस्थितियों में ये बच्चे रहते हैं, जीवन यापन के लिए कचरा बीनने से लेकर अन्य छोटे-मोटे काम करते हैं और इनका अक्सर कई तरह से शोषण भी किया जाता है। आचार्य ने कहा, यूनिसेफ के अनुसार, भारत में एक साल से 17 साल की उम्र के, फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों की संख्या करीब 3.1 करोड़ है।

उन्होंने कहा, पहचान के लिए, स्कूलों में प्रवेश के लिए कई तरह के दस्तावेजों की जरूरत होती है लेकिन फुटपाथ पर रहने वाले बच्चे ये दस्तावेज कहां से लाएंगे? आचार्य ने कहा, सरकार को इन बच्चों के लिए एक कानून बनाना चाहिए ताकि उन्हें अच्छी शिक्षा, अच्छी परवरिश और समय पर उचित चिकित्सा सहायता मिल सके।



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