नई दिल्ली। सीमा विवाद को लेकर चीन ने भारत को लेकर सुर बदले है, लेकिन सीमा पर सैनिक नहीं घटा रहा है। उधर लद्दाख सेक्टर में गलवान घाटी से पैंगोंग त्सो झील तक चार जगहों पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने डटे हुए हैं।
सीमा पर तनाव में कोई कमी नहीं दिख रही है। दोनों ही सेनाएं अपनी जगह से हिली नहीं हैं। ना ही उनकी संख्या में कोई कमी आई है। अभी यह कहना संभव नहीं है कि यह टकराव कब और कैसे खत्म होगा। इस मामले के जानकार लोगों ने गुरुवार को हिन्दुस्तान टाइम्स को यह जानकारी दी।
एक दिन पहले यानी बुधवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने सीमा पर तनातनी को कमतर बताया था। मंत्रालय की ओर से जोर देकर कहा गया था कि एलएसी पर स्थिति स्थिर और नियंत्रण में है। साथ ही देनों देश विभिन्न स्तरों पर संपर्क में हैं। लेकिन चीनी पक्ष का यह मैत्रीपूर्ण रुख जमीन पर उतरता नहीं दिख रहा है।
मीडिया में आई खबरों के मुतािबक, एक भारतीय अधिकारी ने कहा, अपने क्षेत्र में सड़क, पुल या हवाई पट्टी बनाने के भारत के अधिकार पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है। इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने का काम जारी है और इसे रोका नहीं जाएगा।
पिछले सप्ताह पीएम मोदी ने एलएसी पर स्थिति की समीक्षा के लिए पिछले सप्ताह एक हाई लेवल मीटिंग की थी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीफ ऑफ डिफेंस सर्विसेज जनरल बिपिन रावत विभिन्न स्तरों पर भारतीय प्रयासों की निगरानी कर रहे हैं।
उनके रडार पर पश्चिमी सीमा भी है। जहां से रिपोर्ट है कि पाकिस्तान ने पीओके के गिलगित बाल्टिस्तान में सेना की गतिविधि बढ़ाई है। भारतीय सेना ने यहां चीनी सैनिकों की संख्या और संसाधन के बराबर ताकत लगाई है। भारत लंबे समय तक खिंच सकने वाली तनातनी के लिए तैयार है। सैनिकों का एक अन्य दल तैयार है जो तनातनी वाले स्थानों पर मौजूद सैनिकों को बीच में ब्रेक देने के लिए रिप्लेस करते हैं।