चीन भारतीय सीमा से सटे डोकलाम के पास मिसाइल पैड के साथ ही हेलीपोर्ट बनाने में भी जुटा


पीएलए का संदिग्ध हेलीपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर भारत, चीन, भूटान के ट्राई-जंक्शन डोकलाम क्षेत्र को लेकर जारी जांच के दौरान दिखा। यह सभी मौसम में काम करने वाला और सेक्टर में तेजी से सेना की तैनाती और सर्विलांस में सुधार के लिए है। तस्वीरों से पता चलता है कि यह संदेहास्पद हेलीपोर्ट उन दो स्थानों से लगभग बराबर दूरी पर है जहां चीनी सेना जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को तैनात करने के लिए स्थान बना रही है।


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नई दिल्ली। धोखेबाज चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह हर तरफ से भारत को घेरने की नापाक कोशिश में जुटा है। ओपन सोर्स सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि पीपल्स लिब्रेशन आर्मी भारत-भूटान और चीन के ट्राइ जंक्शन पर एक स्ट्रक्चर बना रही है, जो हेलीपोर्ट प्रतीत होता है। यह दो विवादित और संवेदनशील सीमा क्षेत्रों डोकलाम और सिक्किम सेक्टर के बेहद नजदीक है।

विश्लेषक ने ट्वीट किया, पीएलए का संदिग्ध हेलीपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर भारत, चीन, भूटान के ट्राई-जंक्शन डोकलाम क्षेत्र को लेकर जारी जांच के दौरान दिखा। यह सभी मौसम में काम करने वाला और सेक्टर में तेजी से सेना की तैनाती और सर्विलांस में सुधार के लिए है। तस्वीरों से पता चलता है कि यह संदेहास्पद हेलीपोर्ट उन दो स्थानों से लगभग बराबर दूरी पर है जहां चीनी सेना जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को तैनात करने के लिए स्थान बना रही है। दोनों ही मिसाइल फैसिलिटी संदिग्द रडार सिस्टम के नजदीक हैं।

@detresfa की ओर से ट्विटर पर साझा ग्राफिक्स में कहा गया है, ”चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा झड़प के इतिहास और विवादित दावों वाले स्थानों पर बुनियादी ढांचे का लगातार निर्माण चीन के दीर्घकालीन महत्वाकांक्षाओं को दिखाता है।” डोका ला और नाकु ला से 100 किलोमीटर के भीतर हेलीपोर्ट के निर्माण से विवादित क्षेत्र में मुश्किल हालात के बावजूद हर मौसम में ऑपरेशन को अंजाम दिया जा सकता है।

मिसाइल फैसिलिटीज नाकु ला से करीब 50 किलोमीटर दूर हैं, जहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच 9 मई को झड़प हुई थी और डोका ला डोकलाम के नजदीक है जहां 2017 में दोनों देशों के सैनिकों के बीच 73 दिनों तक तनातनी बनी रही थी। नाकु लाल झड़प में चार भारतीय और सात चाइनीज सैनिक घायल हुए थे। चीन की ओर से हेलीपोर्ट और मिसाइल साइट बनाए जाने को लेकर भारत की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।