शहद में चीन निर्मित शुगर सिरप की हो रही मिलावट : सुनीता नारायण


शहद को अमृत तुल्य माना गया है। भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में शहद को औषधी माना गया है। कोरोना काल में शहद हर भारतीय के रसोई का अनिवार्य अंग बन गया। देश में शहद की खपत को देखते हुए इस पर विदेशी कंपनियों की नजरें लग गयी हैं। सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरामेंट (CSE) ने यह खुलासा किया है कि शहद में चीन की कंपनियों द्वारा निर्मित शुगर सिरप (Sugar syrup) की मिलावट हो रही है। CSE की महानिदेशक सुनीता नारायण से प्रदीप सिंह की बातचीत का मुख्य अंश :


प्रदीप सिंह प्रदीप सिंह
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प्रश्न: सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरामेंट ने कोका कोला में कीटनाशक के मिलावट का खुलासा किया था अब शहद में शुगर सिरप के मिलावट का खुलासा किया है, शहद में मिलावट हो रही है इसके बारे में आपको कैसे शक हुआ?

सुनीता नारायण : शहद का स्रोत मधुमक्खी है। मधुमक्खी पालकों की शिकायत थी कि शहद का व्यापार चौपट होता जा रहा है औऱ शहद बेचने वाली कंपनियां शहद खरीदने में रुचि नहीं दिखाती हैं। पहले कंपनियां 120-150 रुपये किलो शहद खरीदती थी अब 60 रुपये प्रति किलो भी देने को तैयार नहीं है। मधुमक्खी पालकों का कहना था कि कोरोना काल में शहद की मांग बढ़ गयी है फिर भी उनके पास शहद की खरीदार कंपनिया नहीं आ रही हैं। मधुमक्खी पालकों का आरोप था कि शहद में चीन की कंपनियों द्वारा निर्मित शुगर सिरप मिलाया जा रहा है। ऐसे में हम लोगों ने शहद की गुणवत्ता को जांचने-परखने का फैसला किया।

प्रश्न: अपने कितनी कंपनियों के शहद की जांच की और क्या पाया?

सुनीता नारायण: सबसे पहले हमने शुगर सिरप बनाने वाली चीनी कंपनियों पर नजर रखना शुरू किया। शुगर सिरप बनाने वाली कई चीनी कंपनियां अपने वेबसाइट पर यह दावा करती हैं कि उनके शुगर सिरप को भारतीय परीक्षण में पकड़ा नहीं जा सकता है। अभी शहद की शुद्धता के लिए देश में जो मानक तय किया गया है उससे चीन की कंपनियों में बने शुगर सिरप की मिलावट को पकड़ा नहीं जा सकता है। चीन की कंपनियां ऐसे शुगर सिरप तैयार कर रही हैं जो भारतीय जांच मानकों पर आसानी से खरा उतर सकते हैं।

हमने उत्तराखंड के जसपुर में उस फैक्ट्री को भी खोज निकाला जो मिलावट के लिए शुगर सिरप बनाती है। सीएसई ने समझने के लिए उनसे संपर्क किया और सैंपल खरीदा। प्रयोगशाला के उन्नत परीक्षण से यह निष्कर्ष निकला कि हम जो भी शहद खा रहे हैं, लगभग सब में चीनी (शुगर सिरप) की मिलावट की गई है। शहद के 13 ब्रांड की जांच की गई, केवल 3 ब्रांडपास हुए। कुल 22 नमूनों का परीक्षण हुआ। परीक्षण में 77 प्रतिशत शहद में मिलावट या शुगर सिरप मिला।

प्रश्न: सैंपल्स को भारत के किसी प्रयोगशाला में भेजने के बजाए आपने चेक होने के लिए जर्मनी भेजे थे। क्या भारत की लैब्स में यह सुविधा नहीं है?

सुनीता नारायण: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने जो 22 नमूने लिये उसको सबसे पहले गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) में स्थित सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड (CALF) में जांचा गया। लेकिन वहां पर वे शुद्धता के परीक्षण में पास हो गए। इसके बाद हम लोगों ने नमूनों को जर्मनी की विशेष प्रयोगशाला में भेजने का फैसला लिया। जर्मनी में जब इन्हीं ब्रांड्स को न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (NMR) परीक्षण पर परखा गया तो लगभग सभी ब्रांड के नमूने फेल पाए गए। 13 ब्रांड परीक्षणों में सिर्फ 3 ही एनएमआर परीक्षण में पास हो पाए।

प्रश्न : देश में खाद्य पदार्थो में मिलावटखोरी आम बात हो गयी है, हम मिलावटखोरी से क्यों नहीं निबट पा रहे हैं, क्या कानून में कोई खोट है ?

सुनीता नारायण: मिलावटखोरी रोकने के लिए देश में कड़ा कानून है। खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता जांचने–परखने के लिए देश में कई संस्थाएं भी मौजूद हैं। लेकिन दिक्कत यह है कि ये संस्थाएं अपना काम ठीक से नहीं कर पा रही हैं। हमें मिलावट रोकने वाली संस्थाओं को मजबूत बनाना होगा। सरकारी संस्थाओं को समय-समय पर जांच करते रहना चाहिए। फूड शेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी ऑफ इंडिया को और मजबूत और साधन-संपन्न बनाना होगा। इसके साथ ही कानून का डर हो, यह बताना दिखाना पड़ेगा।

प्रश्न: सरकार और संस्थाओं के साथ क्या कंपनियों की जिम्मेदारी नहीं बनती की वो मिलावट न करें और खाद्य पदार्थों की शुद्धता को सुनिश्चित करें?

सुनीता नारायण : किसी भी खाद्य पदर्थ में मिलावट स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। सरकार को सार्वजनिक परीक्षण को सुदृढ़ करना होगा। सभी कंपनियों के लिए यह नियम बनाना होगा कि वो अपने उत्पाद में जो दावा करती हैं, वह सुनिश्चित करें। जहां तक शहद बेचने वाली कंपनियों की बात है वो यह सार्वजनिक करें कि किस मधुमक्खी पालक से शहद खरीदे हैं। नियम-कानून के साथ ही उपभोक्ताओं को भी जागरूक रहना होगा, तभी खाद्य पदार्थों में मिलावट रूकेगी।

प्रश्न: क्या इसमें चीनी कंपनियां सीधे शामिल हैं ?

सुनीता नाराय़ण: चीन की कंपनियां फ्रुक्टोज के रूप में इस सिरप को भारत में भेजती हैं। सीएसई ने अलीबाबा जैसे चीन के व्यापारिक पोर्टल्स की छानबीन की जो अपने विज्ञापनों में दावा करते हैं कि उनका फ्रुक्टोज सिरप भारतीय परीक्षणों को बाईपास कर सकता है। यह भी पाया गया कि वही चीन की कंपनी जो फ्रुक्टोज सिरप का प्रचार कर रही थी, वह यह भी बता रही थी कि यह सिरप सी3 और सी4 परीक्षणों को बाईपास कर सकते हैं और इनका निर्यात भारत को किया जाता है।

सीएसई ने चीन की कंपनियों को ईमेल भेजे और उनसे अनुरोध किया गया कि वे ऐसे सिरप भेजें, जो भारत में परीक्षणों में पास हो जाएं। उनकी ओर से भेजे गए जवाब में हमें बताया गया उनके पास ऐसे सिरप उपलब्ध हैं जिसको यदि शहद में 50 से 80 फीसदी तक मिलावट की जाएगी तो भी वे परीक्षणों में पास हो जाएंगी। परीक्षण को बाईपास करने वाले सिरप के नमूने को चीनी कंपनी ने पेंट पिगमेंट के तौर पर कस्टम्स के जरिए भेजा। इससे ज्यादा और क्या प्रमाण चाहिए।

प्रश्न: इतने बड़े खुलासे के बाद सरकार और समाज की क्या प्रतिक्रिया है?

सुनीता नारायण: हम लोगों ने चीनी कंपनियों पर इतना बड़ा खुलासा किया। भ्रष्टाचार को उजागर किया लेकिन अभी तक उन कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि इस खुलासे के बाद ही चीन से सिरप और शहद का आयात बंद कर दिया जाना चाहिए था। लेकिन अभी तक नहीं हुआ। जहां तक समाज की बात है तो रोज हमें फोन और ई-मेल आ रहे हैं,जो हमारे काम की सराहना कर रहे हैं और हमारे हौसले को बढ़ा रहे हैं।

 



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