सीएम गहलोत ने साबरमती आश्रम को तोड़कर संग्रहालय बनाने के निर्णय को बताया अनुचित


साबरमती आश्रम जिस पवित्र स्थल पर लोग यह देखने के लिये आते है कि कैसे महात्मा गांधी ने सादगी से जीवन व्यवतीत करते हुए समाज के हर वर्ग को एक साथ लेकर एक बड़ा स्वतंत्रता आंदोलन ऐसे समय में चलाया।


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जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को कहा कि गुजरात सरकार का साबरमती आश्रम को तोड़कर संग्रहालय बनाने का निर्णय चौंकाने वाला और अनुचित है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग इस पवित्र स्थल पर यह देखने के लिये आते है कि कैसे महात्मा गांधी ने सादगी से जीवन व्यवतीत करते हुए समाज के हर वर्ग को एक साथ लेकर एक बड़ा स्वतंत्रता आंदोलन ऐसे समय में चलाया जब समाज बेहद विभाजित था। गहलोत ने कहा कि उन्होंने अपने बहुमूल्य जीवन के 13 वर्ष आश्रम में बिताये हैं ।

उन्होंने कहा कि साबरमती आश्रम सद्भाव और बंधुत्व के विचारों के लिये जाना जाता है और देश या विदेश के लोग यहां कोई भी विश्व स्तरीय इमारत नहीं देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ‘‘आगंतुक इस जगह की सादगी और आदर्शों की प्रशंसा करते हैं। इसलिये इसे आश्रम कहा जाता है। यह स्थान संग्रहालय कहलाने के लिये नहीं है।’’

गहलोत ने कहा, ‘‘आश्रम की पवित्रता और गरिमा को नष्ट करना राष्ट्रपिता का अपमान हैं। ऐसा लगता है कि यह फैसला राजनीतिक मकसद से गांधी जी से जुड़ी हर चीज को बदलने के लिये लिया गया है।’’

उन्होंने कहा कि इस तरह की किसी भी कार्रवाई से इतिहास की गरिमा घटेगी और आने वाली पीढियां हमारी समृद्ध विरासत, संस्कृति और परंपराओं को नष्ट करने की कोशिश करने वालों को माफ नहीं करेगी।

गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मामले में हस्तक्षेप कर फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया और कहा कि ऐतिहासिक आश्रम की रक्षा की जानी चाहिए ।