कांग्रेस का केंद्र पर आरोप, कहा- दोनों सदनों में रचनात्मक सहयोग देने के बाद भी किया अनसुना


कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने महंगाई, तीनों कृषि कानूनों और कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर उसकी मांगों को अनसुना कर दिया।


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नई दिल्ली। कांग्रेस ने संसद के बजट सत्र के संपन्न होने के बाद बृहस्पतिवार को कहा कि उसने दोनों सदनों में सरकार को रचनात्मक सहयोग दिया, लेकिन सरकार ने महंगाई, तीनों कृषि कानूनों और कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर उसकी मांगों को अनसुना कर दिया।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर ‘प्रचंड बहुमत के अहंकार’ में होने का आरोप लगाया और कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 और कुछ अन्य विधेयकों को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की गई थी, लेकिन सरकार तैयार नहीं हुई।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने दावा किया कि सरकार ने इस सत्र में दिल्ली से जुड़े विधेयक समेत कई ऐसे विधेयक पारित करवाए हैं जिनको उच्चतम न्यायालय में चुनौती मिल सकती है।

खड़गे ने रमेश और कांग्रेस के लोकसभा सदस्य रवनीत बिट्टू के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी का मुद्दा उठाया। हमने सरकार से कहा कि कि उत्पाद शुल्क और उपकर लगाकर जो लाखों करोड़ रुपये एकत्र किया गया, उसका हिसाब दिया जाए। लेकिन सरकार की तरफ से कुछ नहीं बताया गया।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘हमने किसानों के खिलाफ लाए गए तीनों काले कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की। दिल्ली से जुड़े विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने नहीं मानी। यह सरकार किसी बात को सुनने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि उसे प्रचंड बहुमत का अहंकार है।’’

खड़गे ने आरोप मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण के लाभ से वंचित करने के लिए सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया जा रहा है।

राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक रमेश ने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी इसके पक्ष में नहीं थी कि सत्र पहले खत्म किया जाए। हम चाहते थे कि सत्र आठ अप्रैल तक चले और जनता के मुद्दों पर बात हो। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और भाजपा के दूसरे नेताओं को चुनाव में जाना था, इसलिए सत्र को पहले ही खत्म कर दिया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न विधेयकों पर हमारी ओर से रचनात्मक सहयोग दिया गया। सरकार की ओर से दावा किया जाएगा कि उसने कई विधेयकों को पारित करवाया। लेकिन विपक्ष और खासतौर पर कांग्रेस के रचनात्मक सहयोग के बिना ये विधेयक पारित नहीं होने वाले थे।’’

रमेश ने दावा किया, ‘‘सरकार ने जो विधेयक पारित किए हैं उनमें से कई को उच्चतम न्यायालय में चुनौती मिलेगी। दिल्ली और खनिज से जुड़े विधेयकों को न्यायालय में चुनौती मिलेगी।’’

इसी के साथ ही मंत्री ने कहा, ‘‘ हमें बहुत दुख है कि रचनात्मक सहयोग देने के बावजूद हमारी मांगों को नहीं माना गया। हमने तीन काले कानूनों पर चर्चा की मांग की थी, उसे नहीं माना गया। मैंने डिजिटल मीडिया पर नियंत्रण के सरकार का प्रयास पर चर्चा करने की मांग की थी, लेकिन नहीं सुनी गई।’’

राष्ट्रीय अवसंरचना और विकास वित्त-पोषण बैंक विधेयक, 2021 के संसद से पारित होने का उल्लेख करते हुए रमेश ने कहा, ‘‘इस संस्था को कानून द्वारा बनाया जा रहा है। यह सरकारी संस्था है जिसकी सीबीआई जांच, सीवीसी की जांच नहीं होगी। कैग का ऑडिट नहीं होगा। इसमें लोक लेखा समिति (पीएसी) की कोई भूमिका नहीं होगी। यह तो अद्भुत संस्था है।’’

रमेश ने कहा, ‘‘नए संसद भवन से लोकतंत्र मजबूत नहीं होता। पुराने भवन से ही लोकतंत्र मजबूत हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि विपक्ष को अपने मुद्दे उठाने का मौका मिले।’’

बिट्टू ने दावा किया कि इस बजट सत्र से देश के आम लोगों और खासकर किसानों को बहुत आशा थी, लेकिन सरकार ने निराश किया।