
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल में मुस्लिम धर्मगुरु अब्बास सिद्दीकी के नेतृत्व वाले इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ पार्टी के गठजोड़ की आलोचना करते हुए सोमवार को कहा कि यह पार्टी की मूल विचारधारा तथा गांधीवादी और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। हालांकि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी जितिन प्रसाद ने कहा कि गठबंधन के फैसले पार्टी के हितों को ध्यान में रख कर लिए जाते हैं।
शर्मा ने कहा कि पार्टी ‘‘सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में चयनात्मक नहीं हो सकती है। हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है।’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री शर्मा पार्टी के उन 23 नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी। शर्मा ने कहा कि आईएसएफ जैसी कट्टरपंथी पार्टी के साथ ‘‘गठबंधन’’ के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए थी और उसे कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा अनुमोदित होना चाहिए था।
इस बीच कांग्रेस के पश्चिम बंगाल प्रभारी जितिन प्रसाद ने ट्वीट कर कहा, ‘‘पार्टी एवं कार्यकर्ताओं के बेहतर हित को ध्यान में रखते हुये गठबंधन के निर्णय लिए जाते हैं। अब समय आ गया है कि हर व्यक्ति हाथ मिलाए और चुनावी राज्यों में कांग्रेस की संभावनाओं को मजबूत करने के लिये काम करे ।’’
Alliance decisions are taken keeping in mind the best interests of the party and the workers. Now is the time for everyone to join hands and work towards strengthening the prospects of the Congress in the poll bound states. @INCIndia @rssurjewala @adhirrcinc @AnandSharmaINC
— Jitin Prasada जितिन प्रसाद (@JitinPrasada) March 1, 2021
इससे पहले शर्मा ने ट्विटर पर कहा, ‘‘आईएसएफ और ऐसे अन्य दलों के साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है… इन मुद्दों पर कांग्रेस कार्य समिति से मंजूरी लेने की जरूरत है।’’
आईएसएफ और ऐसे अन्य दलों से साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, जो कांग्रेस पार्टी की आत्मा है। इन मुद्दों को कांग्रेस कार्य समिति पर चर्चा होनी चाहिए थी।
— Anand Sharma (@AnandSharmaINC) March 1, 2021
इससे पहले शर्मा ने कोलकाता में संयुक्त रैली में भाग लेने के लिए पश्चिम बंगाल कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी से स्पष्टीकरण मांगा, जहां आईएसएफ नेता मौजूद थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी उपस्थिति और समर्थन ‘‘कष्टदायक और शर्मनाक’’ थी।
पार्टी के वरिष्ठ नेता शर्मा ने कहा, ‘‘सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस चयनात्मक नहीं हो सकती है। हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।’’
सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस चयनात्मक नहीं हो सकती है। हमें हर सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।
— Anand Sharma (@AnandSharmaINC) March 1, 2021
हालांकि चौधरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने स्वयं से निर्णय नहीं किया है। सूत्रों ने कहा कि राज्य में कांग्रेस का सीटों पर तालमेल वाम के साथ है और वाम दल अपने हिस्से से आईएसएफ को समायोजित करेंगे। सीडब्ल्यूसी पार्टी का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है जो पार्टी के महत्वपूर्ण फैसले लेता है। शर्मा सीडब्ल्यूसी के सदस्य और राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता हैं।
कांग्रेस पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव वाम और आईएसएफ के साथ गठबंधन में लड़ रही है, लेकिन केरल में माकपा के खिलाफ लड़ रही है। वाम, कांग्रेस और आईएसएफ के नेताओं ने रविवार को कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में एक संयुक्त रैली को संबोधित किया था। वाम और कांग्रेस के नेताओं के साथ मंच पर आईएसएफ के संस्थापक और फुरफुरा शरीफ के अब्बास सिद्दीकी भी थे।
कांग्रेस और आईएसएफ के साथ मतभेद दूर करने का प्रयास जारी
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर, कांग्रेस तथा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आईएसएफ के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद दूर करने का प्रयास कर रहा है। वाम मोर्चा अध्यक्ष बिमान बोस ने कहा कि मुद्दों को सुलझाने के लिए तीनों पक्षों के बीच बातचीत होगी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी और वाम मोर्चा के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर शुरू में बातचीत हुई थी लेकिन बाद में आईएसएफ के आने के बाद समीकरण बदल गए हैं।