असम में मदरसों के मुद्दे को साझा न्यूनतम कार्यक्रम में शामिल करने को लेकर दुविधा में कांग्रेस

नई दिल्ली। असम विधानसभा चुनाव में ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) और वाम दलों के साथ गठबंधन की घोषणा करने के बाद कांग्रेस जल्द ही साझा न्यूनतम कार्यक्रम तय करने जा रही है, हालांकि सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों को नियमित स्कूल में तब्दील करने के भाजपा सरकार के फैसले से जुड़े मुद्दे को इसमें शामिल करने को लेकर वह दुविधा में है।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस की असम इकाई के नेताओं के एक धड़े का मानना है कि इस तरह के मुद्दों पर जोर देने से चुनाव में भाजपा को ध्रुवीकरण का अवसर मिलेगा।

दूसरी तरफ, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रिपुन बोरा का कहना था कि राज्य सरकार के इस ‘असंवैधानिक फैसले” को अदालत में चुनौती दी जाएगी और इसको लेकर गठबंधन की प्रस्तावित समन्वय समिति में चर्चा भी होगी।

राज्य में फिलहाल प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका निभा रही कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय के बीच जनाधार रखने वाले एआईयूडीएफ के अलावा माकपा, भाकपा एवं भाकपा(माले) तथा प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी आंचलिक गण मोर्चा के साथ गठबंधन की घोषणा की है। राज्य में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है।

रिपुन बोरा ने बताया, ‘‘भाजपा को सरकार से बाहर करने और असम के विकास के लिए छह दल साथ आए हैं। हम कुछ और क्षेत्रीय दलों से भी बातचीत कर रहे हैं और उम्मीद है कि इस गठबंधन का और विस्तार होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बहुत जल्द हम साझा न्यूनतम कार्यक्रम तय करेंगे और एक समन्वय समिति भी बनाएंगे। यह समिति ही आगे की रणनीति और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेगी।’’

यह पूछे जाने पर कि किन मुद्दों को साझा न्यूनतम कार्यक्रम में स्थान मिल सकता है, बोरा ने कहा, ‘‘सीएए (संशोधित नागरिकता कानून) और एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर), असम के विशेष दर्जे का मुद्दा, प्रदेश को केंद्र से 90:10 के अनुपात में धन नहीं मिलना, राज्य में मौजूद सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण और राज्य के विकास से जुड़े कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सबकी सहमति है।’’

इस सवाल पर कि क्या सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों को नियमित स्कूल में बदलने का मुद्दा भी इसमें शामिल होगा, तो उन्होंने कहा, ‘‘सरकार का फैसला असंवैधानिक है। यह व्यवस्था अंग्रेजों के समय से चली आ रही थी । फिलहाल इसको न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। इस पर समन्वय समिति में चर्चा भी होगी।’’

दूसरी तरफ, असम प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘हमारी कोशिश है कि एआईयूडीएफ से गठबंधन करने के कारण ऐसे किसी मुद्दे को नहीं उठाना है जिससे चुनाव में भाजपा को ध्रुवीकरण का मौका मिले। इसलिए मदरसे वाले मुद्दे को चुनावी एजेंडे में शामिल करने को लेकर हिचकिचाहट है।’’

उल्लेखनीय है कि हाल ही में असम की भाजपा सरकार एक विधेयक के माध्यम से प्रदेश के सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों को नियमित स्कूल में तब्दील कर दिया।

गठबंधन के घटक दलों में हालांकि अभी सीटों को लेकर कोई बातचीत आरंभ नहीं हुई है। बोरा का कहना था कि सीट बंटवारे में कोई मुश्किल पेश नहीं आएगी क्योंकि सभी पार्टियों का लक्ष्य असम का विकास करना और भाजपा को सत्ता से हटाना है।

वैसे, कांग्रेस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पार्टी कुल 126 सीटों में करीब 90 सीटों पर चुनाव लड़ने और शेष 36 सीटें सहयोगी दलों को देने के बारे में विचार कर रही है। इन दलों ने 2016 का विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा था।

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई में राजग को 86 सीटें मिली थीं और पहली बार प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी। वहीं, 122 सीटों पर चुनाव लड़कर कांग्रेस को 26 और 74 सीटों पर चुनाव लड़कर एआईयूडीएफ को 13 सीटों पर जीत मिली थी। दूसरी तरफ, माकपा और भाकपा कुल 34 सीटों पर चुनाव लड़ी थीं, हालांकि उन्हें कोई सीट नहीं मिली थी।

First Published on: January 24, 2021 12:36 PM
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