कांग्रेस को अब राहुल की ‘विचारधाराओं की लड़ाई’ को वोट की लड़ाई में जीत में बदलना होगा


यात्रा के उद्देश्य के बारे में बताते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि इसक मकसद लोगों के बीच प्रेम और सद्भाव फैलाना था और यात्रा ने इसमें से कुछ हासिल किया है, लेकिन यह चुनावों को कैसे प्रभावित करेगा, इसकी भविष्यवाणी अभी नहीं की जा सकती है।


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नई दिल्ली। इस महीने श्रीनगर में भारत जोड़ो यात्रा समाप्त होने वाली है। कांग्रेस कह रही है कि यह यात्रा राजनीतिक नहीं, बल्कि विचारधाराओं की लड़ाई है। राहुल गांधी भी जोर देकर कहते रहे हैं कि यह भाजपा-आरएसएस के साथ एक वैचारिक लड़ाई है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह वोट में तब्दील होगा। कांग्रेस कह रही है कि इसके प्रभाव का आकलन करना होगा। गौरतलब है कि पिछले दो आम चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत खराब रहा।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने गुरुवार को कहा कि विभाजनकारी विचारधारा से मुकाबला करने और सद्भाव बनाने के लिए भारत जोड़ो यात्रा निकाली गई है, यह चुनाव जीतने वाली यात्रा नहीं है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि हमें देर हो गई, क्योंकि हम चुनावों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे थे और यह यात्रा पहले निकाली जानी चाहिए थी, क्योंकि यह विचारधारा की लड़ाई है और आरएसएस द्वारा फैलाए गए नफरत के जहर को बेअसर करने में सालों लग सकते हैं।

यात्रा के उद्देश्य के बारे में बताते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि इसक मकसद लोगों के बीच प्रेम और सद्भाव फैलाना था और यात्रा ने इसमें से कुछ हासिल किया है, लेकिन यह चुनावों को कैसे प्रभावित करेगा, इसकी भविष्यवाणी अभी नहीं की जा सकती है।

जयराम रमेश ने कहा, भारत जोड़ो का संदेश केवल उन 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों तक सीमित नहीं है, जहां से यात्रा गुजर रही है। कई राज्य स्तरीय यात्राओं की घोषणा पहले ही की जा चुकी है, और आगामी ‘हाथ से हाथ जोड़ो अभियान’ यात्रा का संदेश हर भारतीय के दरवाजे तक ले जाएगा।

पार्टी संभावित सहयोगियों तक भी पहुंच बना रही है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में पार्टी ने समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल और यहां तक कि राम मंदिर समिति को भी यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। हालांकि कोई भी नेता यात्रा में शामिल नहीं हुआ, लेकिन रालोद और किसान संगठनों के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अपना समर्थन दिया और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनकी भारत जोड़ो यात्रा में भाग लिया।

बसपा प्रमुख मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यात्रा का समर्थन किया और रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने अभियान को लोगों को एकजुट करने का जरिया बताते हुए अपना समर्थन जताया।

अखिलेश यादव यात्रा में शामिल नहीं हुए, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि विभिन्न विपक्षी दलों के बीच एकता का स्तर 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे तय करेगा।

विपक्षी दलों से हाथ मिलाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यादव ने कहा, भारत जोड़ो यात्रा अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी साबित हो रही है और तब तक इसका असर महसूस किया जाएगा।

यात्रा को शुभकामनाएं देते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि यह राहुल गांधी की राजनीतिक यात्रा है जो अच्छे से चल रही है। उन्होंने राहुल गांधी की सफलता की भी उम्मीद जताई।

अपने सहयोगी रालोद की तरह स्वयं यात्रा में भाग लेने के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि उनका कांग्रेस के प्रयासों के साथ भावनात्मक संबंध है, लेकिन चूंकि यह अंतत: एक राजनीतिक कार्यक्रम है, इसलिए उन्होंने इसका हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया।

फरवरी में रायपुर में पार्टी के पूर्ण सत्र के बाद कांग्रेस गठबंधन के मामले में आगे बढ़ेगी।

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा रायपुर में, छह प्रमुख विषयों राजनीतिक, आर्थिक, अंतर्राष्ट्रीय मामले, किसान और कृषि, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, युवा शिक्षा और रोजगार पर बहस होगी।

113 दिनों में यात्रा ने 55 से अधिक जिलों और 10 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और यूपी को कवर किया।

यात्रा में अब तक 87 बैठकें हो चुकी हैं और छोटे समूहों के साथ 30-40 बातचीत हुई है। आमतौर पर इस बातचीत में 20-30 लोग शामिल होते हैं।

मशहूर हस्तियों से लेकर बुद्धिजीवियों, कार्यकर्ताओं, पूर्व सैनिकों और बच्चों ने यात्रा में भाग लिया। 11 बड़ी जनसभाएं हो चुकी हैं। राहुल गांधी की 10 प्रेस कॉन्फ्रेंस भी हुई है।