जामिया मिल्लिया इस्लामिया में मुस्लिम आरक्षण पर विवाद, ओवैसी ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

ओवैसी ने मौलाना आज़ाद फ़ेलोशिप का ज़िक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने इसे खत्म कर दिया, जिससे मुस्लिम छात्रों को शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से पीछे धकेलने की कोशिश की जा रही है।

नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में पीएचडी में मुस्लिम छात्रों के लिए 50% आरक्षण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अब एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह आरक्षण मुस्लिम उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए था, लेकिन मौजूदा सरकार इसमें सेंध लगाने का काम कर रही है।

ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि जामिया एक अल्पसंख्यक संस्थान के तौर पर पीएचडी में 50% सीटें मुसलमानों के लिए आरक्षित रखी थीं, लेकिन सरकार ने इस नियम का उल्लंघन किया है। मुस्लिम हायर एजुकेशन पहले ही संकट में है, 2020-21 में लगभग 1. 8 लाख मुस्लिम छात्रों की संख्या घटी थी।

ओवैसी ने मौलाना आज़ाद फ़ेलोशिप का ज़िक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने इसे खत्म कर दिया, जिससे मुस्लिम छात्रों को शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से पीछे धकेलने की कोशिश की जा रही है।

रिपोर्ट्स के अनुसार जामिया मिल्लिया इस्लामिया में आरक्षण नीति के तहत 30% सीटें मुस्लिम छात्रों के लिए 10% मुस्लिम महिलाओं के लिए और 10% मुस्लिम ओबीसी व एसटी के लिए तय थीं। लेकिन कई विभाग इस आरक्षण नीति को लागू करने में विफल रहे हैं।

एजेके मास कम्युनिकेशन एंड रिसर्च सेंटर में योग्य मुस्लिम उम्मीदवार होने के बावजूद चार में से केवल एक सीट मुस्लिम छात्रों को मिली। इसी तरह, कल्चर, मीडिया और प्रशासन केंद्र में सात में से सिर्फ एक सीट, इतिहास विभाग में 12 में से दो और मनोविज्ञान विभाग में 10 में से दो सीटें ही मुस्लिम छात्रों को दी गईं।

रिपोर्ट्स के अनुसार इस मामले की जड़ें अक्टूबर 2024 से जुड़ी हैं जब नए वाइस चांसलर मज़हर आसिफ ने एक ऑर्डिनेंस में बदलाव किया। यह मामूली सा बदलाव तब तक किसी की नजर में नहीं आया जब तक कि पीएचडी एडमिशन में इसका असर दिखने नहीं लगा।

First Published on: February 28, 2025 12:25 PM
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