नोटों से भी फ़ैल सकता है कोरोना वायरस, आरबीआई ने बताए बचने के उपाय


केंद्रीय बैंक ने लोगों को सुझाव दिया है कि वे एनआईएफ़टी, आईएमपीएस, यूपीआई और बीबीपीएस जैसी फंड ट्रांसफ़र की सुविधाओं का इस्तेमाल करें जो चौबीसों घंटे उपलब्ध हैं और नोटों के लेन-देन से परहेज़ करें.


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कोरोना वायरस भारत में अपना प्रकोप लगातार फैलाता जा रहा है. इस संकट को देखते हुए देश के कई हिस्सों में लॉक डाउन की घोषणा की गई है. सभी यातायात, सरकारी दफ्तर, मॉल आदि भीड़ भाड़ वाली जगहों पर कर्फ्यू लगा दिया गया है. सिर्फ ज़रूरी सामान खरीदने बेचने की दुकानें ही खोली जा रही हैं वो भी सीमित समय तक के लिए. लेकिन क्या लेन देन के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले नोटों से भी कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा है ? क्या हमें नोटों के लेन देन पर भी पाबंदी लगा देनी चाहिए ? 

नोटों पर कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर आरबीआई की सलाह 

आरबीआई के मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल कहते हैं, “नकद राशि भेजने या बिल का भुगतान करने के लिए भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने की आवश्यकता हो सकती है. इसके लिए दो लोगों में संपर्क भी होता है जिससे फ़िलहाल बचने की ज़रूरत है”. केंद्रीय बैंक ने लोगों को सुझाव दिया है कि वे एनआईएफ़टी, आईएमपीएस, यूपीआई और बीबीपीएस जैसी फंड ट्रांसफ़र की सुविधाओं का इस्तेमाल करें जो चौबीसों घंटे उपलब्ध हैं और नोटों के लेन-देन से परहेज़ करें. 

कोरोना SARS के अध्ययन में क्या निकला था 

चीन में साल 2003 में फैली SARS महामारी के समय हुए एक शोध की मानें तो नोटों पर भी कोरोना वायरस का संक्रमण 72 घंटे तक रहता है. अमरीका में हुई इस स्टडी में कहा गया था कि ‘SARS कोरोना वायरस कागज़ को 72 घंटे तक और कपड़े को 96 घंटे तक संक्रमित रख सकता है.’ और हालिया अध्ययनों के बाद वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि ‘SARS कोरोना वायरस और कोविड-19 में काफ़ी संरचनात्मक समानताएं हैं.’ हालांकि कोविड-19 की मृत्यु दर अब तक SARS कोरोना वायरस की तुलना में कम बताई जा रही है.

तो क्या भारतीय सरकार को नोटबंदी कर देनी चाहिए ? 

नोटों से कोरोना संक्रमण न फैले इसके लिए भारत के पास कुछ विकल्प मौजूद हैं, लेकिन वो भी इस महामारी से 100 प्रतिशत बचने की गारंटी नहीं देते है. 

पहला : सोशल वेबसाइट याहू फ़ाइनेंस पर चीन के केंद्रीय बैंक के हवाले से प्रकाशित ख़बर के अनुसार ‘चीन में अल्ट्रावायलेट लाइट की मदद से करेंसी नोटों को साफ़ किया जा रहा है. इसके बाद इन नोटों को 14 दिनों के लिए सील करके रखा जाएगा और उसके बाद ही इन्हें जनता में सर्कुलेट किया जाएगा.’ चीन के सरकारी मीडिया के अनुसार ‘फ़रवरी के दूसरे सप्ताह में ही, जब कोविड-19 की वजह से मरने वालों की संख्या 1500 से अधिक हुई ही थी, तभी चीन के सभी बैंकों को यह निर्देश दिया गया था कि वे संभावित रूप से कोरोना संक्रमित करेंसी नोट वापस ले लें और उन्हें जीवाणुरहित बनाने का काम जारी रखें.’

दूसरा : अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (सीएआईटी) ने पीएम मोदी से अपील की है, “भारत सरकार मौजूदा स्थिति को देखते हुए सिंथेटिक पॉलिमर से बनने वाले करेंसी नोट लाने पर विचार करे जिनके ज़रिए संक्रमण फ़ैलने का ख़तरा कागज़ के नोटों की तुलना में कम बताया जाता है.’ सोशल मीडिया पर भी इस विषय में चर्चा हो रही है. आकी लोग विदेशी मीडिया में छपीं ख़बरें शेयर कर रहे हैं जिनमें लिखा है कि चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में स्थित बैंक करेंसी नोटों को वायरस मुक्त करने में लग गए हैं और हमें भी ऐसा ही करना चाहिए.