अदालत ने एनईईआरआई और जीएसआई से लोनार झील के रंग परिवर्तन पर रिपोर्ट मांगी


राइट की रिपोर्ट के अनुसार लोनार क्रेटर (विस्फोट के फलस्वरूप होने वाला गड्ढा) के सतह पर कांच का गठन है जो कि मुख्य रूप से बसाल्ट पत्थर है और यह एक ऐसा अवयव है जो पूरी धरती पर कहीं नहीं पाया जाता है बल्कि चंद्रमा पर मौजूद गड्ढों की सतहों पर ही पाया जाता है।


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नागपुर। बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से लोनार झील के गुलाबी हो जाने के संबंध में पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर रिपोर्ट मांगी है।

न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति अनिल किलोर की एक खंडपीठ ने सोमवार को कीर्ति निपाणकर की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में झील के पानी के रंग बदलने पर चिंता जाहिर की गई है। पीठ ने कहा कि अदालत की ओर से बनाई गई एक समिति के साथ वे खुद भी इस स्थान का निरीक्षण करेंगे।

इस अंडाकार झील का निर्माण पृथवी पर आज से 50,000 वर्ष पहले एक उल्कापिंड के टकराने की वजह से हुई। यह महाराष्ट्र के बुलढ़ाना जिले में स्थित है और मुख्य पर्यटन स्थल है। हाल में इस झील का रंग गुलाबी हो गया। इस घटना ने स्थानीय लोगों, प्रकृति प्रेमियों और वैज्ञानिकों को आश्चर्य में डाल दिया।
राज्य वन विभाग ने अदालत को बताया कि वे झील के पानी के नमूने पहले ही ले चुके हैं और नागपुर स्थित एनईईआरआई और आघरकर अनुसंधान संस्थान, पुणे में जांच के लिए भेज चुके हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश होने वाले वकील आनंद पारचुरे ने अदालत को बताया कि रंग बदलने वाले परिदृश्यों की जांच करने वाले विशेषज्ञों की टीम नासा के विशेषज्ञ डॉक्टर शॉन राइट की रिपोर्ट का भी अध्ययन कर सकते हैं।
राइट की रिपोर्ट के अनुसार लोनार क्रेटर (विस्फोट के फलस्वरूप होने वाला गड्ढा) के सतह पर कांच का गठन है जो कि मुख्य रूप से बसाल्ट पत्थर है और यह एक ऐसा अवयव है जो पूरी धरती पर कहीं नहीं पाया जाता है बल्कि चंद्रमा पर मौजूद गड्ढों की सतहों पर ही पाया जाता है।

सुनवाई के बाद पीठ ने एनईईआरआई और आघरकर अनुसंधान संस्थान को संबंध में रिपोर्ट देने के लिए कहा है। अदालत ने राज्य सिंचाई विभाग को नियमित आधार पर जल स्तर के आंकड़ों को जमा करने के लिए कहा है। अदालत का कहना है कि न सिर्फ झील बल्कि ऊपरी स्तर पर बने बांध के भी जल स्तर के आंकड़ों को भी जमा किया जाए।
वन विभाग ने पीठ को यह भी बताया कि यह क्षेत्र पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील इलाका है और यहां लोनार-किन्ही सड़क निर्माण में समस्या आएगी, क्योंकि यहां ‘एजेक्टा ब्लैंकेट’ कहे जाने वाले दुर्लभ पदार्थ की मात्रा काफी है। यह भी वैसा ही अवयव है जो चंद्रमा पर पाया गया है।

अदालत ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए बुलढ़ाना के जिला कलेक्टर को इस पदार्थ को संभावित चोरी से बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। अगले आदेश तक लोणार-किन्ही सड़क का निर्माण रोकने का भी आदेश दिया गया है और इस मामले की सुनवाई अब 29 जून को होगी।