जेएनयू हिंसा मामले में अलग प्राथमिकी की मांग करने वाली याचिका अदालत ने खारिज की


मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पवन सिंह रजावत ने याचिका खारिज करते हुए बुधवार को जारी अपने आदेश में कहा, ‘‘इसलिए, मैं इस बात से सहमत हूं कि शिकायतकर्ता द्वारा दी गई शिकायत पर अलग प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की कोई जरूरत नहीं है। ’’


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नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में पांच जनवरी को कथित तौर पर नकाबपोश लोगों के हमले में घायल हुई प्रोफेसर सुचित्रा सेन की याचिका दिल्ली की एक अदालत ने खारिज करते हुए कहा है कि एक मामला पहले ही दर्ज किया जा चुका है।

सेन ने याचिका के जरिये इस विषय में एक अलग प्राथमिकी दर्ज करने के लिये निर्देश देने का अनुरोध किया था।

पुलिस द्वारा स्थिति रिपोर्ट दाखिल किये जाने के बाद अदालत ने यह आदेश जारी किया। पुलिस ने अदालत को बताया कि जेएनयू के पेरियार हॉस्टल में जमा भीड़ की इस हिंसा की घटना को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है

अदालत ने रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद कहा कि इससे यह पता चलता है कि शिकायतकर्ता सहित कई लोग उस हिंसक गतिविधि के परिणामस्वरूप घायल हुए,जिसका उल्लेख पहले ही दर्ज की जा चुकी प्राथमिकी में किया गया है। साथ ही, घटना के समय, स्थान और संपत्ति को हुए नुकसान एवं शिकायतकर्ता को आई चोट की जानकारी के बारे में एकरूपता है।

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पवन सिंह रजावत ने याचिका खारिज करते हुए बुधवार को जारी अपने आदेश में कहा, ‘‘इसलिए, मैं इस बात से सहमत हूं कि शिकायतकर्ता द्वारा दी गई शिकायत पर अलग प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की कोई जरूरत नहीं है। ’’

हालांकि, न्यायाधीश ने अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को इस सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी की जांच की स्थिति रिपोर्ट 19 दिसंबर तक दाखिल करने का निर्देश दिया है।