दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएसएलएसए को पुलिस थानों में पीएलवी के लिए रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया


जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनूप जयराम भंभानी की खंडपीठ किशोर न्याय अधिनियम और उसमें बनाए गए नियमों के तहत किशोर न्याय वितरण प्रणाली के कामकाज को कारगर बनाने के लिए एक आपराधिक संदर्भ पर सुनवाई कर रही थी।


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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) को 50 पुलिस थानों में पैरा-लीगल वालंटियर्स (पीएलवी) लगाने की अपनी योजना को लागू करने के लिए एक रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया। गुमशुदा बच्चे और बच्चों के खिलाफ अपराध व इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को कैसे आगे बढ़ाया जाएगा। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनूप जयराम भंभानी की खंडपीठ किशोर न्याय अधिनियम और उसमें बनाए गए नियमों के तहत किशोर न्याय वितरण प्रणाली के कामकाज को कारगर बनाने के लिए एक आपराधिक संदर्भ पर सुनवाई कर रही थी।

पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरणों और केंद्र शासित प्रदेशों के कानूनी सेवा प्राधिकरणों को मामलों पर काम करने के लिए पुलिस थानों में पीएलवी की नियुक्ति के लिए जल्द से जल्द योजनाओं को विकसित करने का निर्देश जारी किया था।

इसने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा योजनाओं को तैयार करने के लिए एक मॉडल के रूप में उपयोग किए जाने के लिए डीएसएलएसए की योजना के प्रसार का निर्देश दिया था।

आप सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता नंदिता राव ने कहा कि वे इसे सक्रिय रूप से देख रहे हैं और वे सुनवाई की अगली तारीख से पहले जवाब दाखिल करेंगे। अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 31 जनवरी को सूचीबद्ध किया।

न्यायमूर्ति मृदुल ने डीएसएलएसए के विशेष सचिव सुशांत चंगोत्रा से कहा, “योजना को अक्षरश: लागू करने के लिए और क्या जरूरतें हैं, इस पर एक रोडमैप के साथ आइए।”

अदालत ने कहा कि यह किशोर न्याय अधिनियम के दायरे में है और इसे युद्ध स्तर पर किया जाना है।