नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को आय से अधिक संपत्ति मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष शिबू सोरेन को लोकपाल के नोटिस से संबंधित याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। लोकपाल की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सोरेन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा स्थगन के अनुरोध के बाद न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च के लिए स्थगित कर दी।
मेहता और सिब्बल दोनों ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के समक्ष संविधान पीठ के मामलों में लगे हुए थे। लोकपाल ने 28 नवंबर, 2022 को उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि सोरेन के खिलाफ जांच शुरू करने का अधिकार उसके पास है। आय से अधिक संपत्ति मामले में लोकपाल के नोटिस के खिलाफ सोरेन द्वारा दायर याचिका के जवाब में यह दलील दी गई थी, जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा प्रारंभिक जांच का निर्देश दिया गया था।
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत सीबीआई द्वारा आय से अधिक संपत्ति मामले में नोटिस में लोकपाल द्वारा प्रारंभिक जांच का निर्देश दिया गया था। उच्च न्यायालय में अपने हलफनामे में, लोकपाल ने कहा था कि इस तरह की जांच केवल यह पता लगाने के लिए शुरू की जाती है कि मामले में आगे बढ़ने के लिए प्रथम ²ष्टया कोई मामला मौजूद है या नहीं, जबकि प्रारंभिक जांच करने का निर्देश किसी शिकायत की योग्यता का निर्धारण नहीं है और किसी भी तरह से संबंधित लोक सेवक पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है।
हलफनामे में कहा गया है, उपरोक्त के मद्देनजर, प्रारंभिक जांच की स्थिति की समीक्षा करने और परिस्थितियों की समग्रता को ध्यान में रखते हुए, भारत के लोकपाल ने सीबीआई को समय-समय पर एक्सटेंशन देने में पूरी तरह से न्यायसंगत था।
सोरेन की याचिका में कहा गया है कि राजनीति से प्रेरित, गलत शिकायत का संज्ञान लेते हुए लोकपाल नोटिस जारी किया गया था। लोकपाल नोटिस भाजपा नेता और लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत पर जारी किया गया है।