नई दिल्ली। देशभर में किसानों के आंदोलन से दबाव में आकर केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना पड़ा था। इसके साथ ही किसानों ने सरकार से कई अन्य घोषणाएं भी लिखित रूप में ली थीं, लेकिन जिन पर अब तक अमल नहीं किया गया है। जिन्हें लेकर एक बार फिर किसानों की मांग तेज हो गई है।
वहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक 5 साल के योगी शासन में उत्तर प्रदेश के ग्रामीण जनता की समस्याओं में भी तेजी देखने को मिली है। जहां कोरोना की मार झेल रहे लोगों का शहर में घटते रोजगार के चलते पलायन जारी है। वहीं दूसरी ओर मंहगी होती खेती की लागत, फसल का सही रेट न मिलना और कृषि से संबंधित कई परेशानियों को बढ़ा दिया है।
वहीं इस सबसे बढ़े चुनावी दंगल में किसानों को लुभाने के लिए नेतागण में बहुत सारे वादे किए जा रहे हैं। जहां कई योजनाएं चुनावी ‘रिश्वत’ के रूप में अमल की गयी हैं। जहां किसानों ने अपनी आह्नवान को जारी रखते हुए संयुक्त किसान मोर्चे के तहत अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने की घोषणा की है।
जहां मांग के अनुसार किसानों ने कहा है कि, वादानुसार सभी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के उद्देश्य से, केन्द्रीय कमेटी का गठन तुरंत किया जाए। फसलों की लागत घटाई जाए, सभी फसलों का कुल लागत (सी-2) के डेढ़गुना पर एमएसपी घोषित किया जाए, सभी किसानों से खरीद की गारंटी की जाए। प्रदेश में गन्ने के रेट का सही निर्धारण कर सालों से बाकी बकाया को ब्याज समेत भुगतान किया जाए।
इसी कड़ी में लखीमपुर खीरी नरसंहार के मुख्य आरोपी, केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री, अजय मिश्र ‘टेनी’ को बर्खास्त व गिरफ्तार करने और इस घटना में मारे गये हमलावरों की ‘हत्या’ के नाम पर किसानों की गिरफ्तारी और उत्पीड़न बंद करने की मांग करते हुए किसान आन्दोलन में शहीद हुए किसानों और लखीमपुर में घायल किसानों के मुआवजे का तुरंत भुगतान करने को कहा है।
वहींं दूसरी ओर संयुक्त किसान मोर्चे ने ग्रामीणों व किसानों से बिजली बिलों की वसूली पर तुरंत रोक लगाई जाए। सभी ग्रामीणों को 300 यूनिट घरेलू व सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त देने पर जोर दिया है। इसी के साथ ही कहा है कि खेती का संकट हल किया जाए। किसानों पर चढ़े कर्जे माफ किये जाएं। डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस के दाम आधे किये जाएं। आवारा पशुओं की समस्या का स्थायी हल किया जाए।
इन सभी सभी मांगो के साथ बढ़ती बेरोजगारी और मंहगाई को देखते हुए उन्होंने कहा कि कारपोरेट पक्षधर नीतियों के कारण समाज में बढ़ती दरिद्रता के मद्देनजर, राशन में 15 किलो प्रति यूनिट, प्रति माह के हिसाब से, किसानों द्वारा पैदा किया गया अनाज, दाल, चीनी, तेल सभी को मुफ्त दिया जाए। जहां सभी वृद्धों, विकलांगों, विधवाओं को जीने लायक पेंशन रु 10,000/ माह देने की भी मांग की है।