पहलगाम आतंकी हमले को लेकर देशभर में गुस्से का माहौल है। आम हो या खास हर कोई पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहा है। इस हमले को लेकर भारत के मुस्लिमों में भी पड़ोसी मुल्क के खिलाफ जबरदस्त रोष देखने को मिल रहा है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारत सरकार से पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
ओवैसी ने कहा है कि हमारी भारत सरकार से यही मांग है कि पाकिस्तान को एफएटीएफ (फाइनेंशिय एक्शन टास्क फोर्स) की ग्रे लिस्ट में डाल देना चाहिए, तभी उनको समझ में आएगा। इसके अलावा भी ओवैसी पाकिस्तान के बड़बोलेपन के खिलाफ बहुत नाराज हुए।
ओवैसी ने पाकिस्तान को जिस एफटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल होने की बात की है आखिर वह क्या है और ब्लैक व ग्रे लिस्ट क्या होती है। आइए जानें।
FATF एक अंतर-सरकारी निकाय है, जिसकी स्थापना 1989 में आतंकी वित्तपोषण, मनी लॉन्ड्रिंग और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए अन्य संबंधित खतरों से निपटने के लिए की गई थी। इस वक्त इसके 39 सदस्य हैं, इसमें दो क्षेत्रीय संगठन-यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग परिषद शामिल हैं। भारत FATF कंसल्टेंटेस और एशिया पैसिफिक ग्रुप का सदस्य है।
ग्रे लिस्ट का अर्थ है कि FATF ने आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ उपायों पर अपने डेवलपमेंट की जांच के लिए एक देश को निगरानी में रखा है। मार्च 2022 तक FATF की बढ़ी हुई निगरानी लिस्ट में 23 देश शामिल थे, जिनको आधिकारिक तौर पर रणनीतिक कमियों वाले क्षेत्राधिकार के रूप में जाना जाता है।
FATF की ब्लैकलिस्ट ऐसे देशों की पहचान करती है जो कि आतंकवाद विरोधी शासन और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए अपर्याप्त माना जाता है। एफएटीएफ हाई रिस्क के रूप में पहचाने जाने वाले सभी देशों के जितने भी सदस्य होते हैं, सभी को बुलाता है और कोर्ट को उचित देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक ब्लैक लिस्टेड देश एफएटीएफ के सदस्य देशों की ओर से आर्थिक रूप से प्रतिबंधों के अधीन हो सकता है। जैसे कि ईरान और कोरिया इस लिस्ट में शामिल हैं।